भारतीय को अनुमति
भारत के नार्थईस्ट में बसा नागालैंड के 11 जिलो में से एक Mon जिला है। इस इलाके का सबसे बड़े गांव Longwa है। जो म्यांमार के बार्डर से महज 43 किलो मीटर की दूरी पर ही बसा हुआ है। यहां के लोगों ने बड़े ही पारंपरिक तरीके से लकड़ी और फूस से घर बना रखे हैं।
आधा यहां आधा वहां
इस जगह की खास बात है कि भारत और म्यांमार को अलग करने वाली सीमा गांव के मुखिया के घर को विभाजित करती हुई निकलती है। इसी वजह से मुखिया का आधा घर भारत और आधा म्यांमार में है।
जनजाति है रहती
इस गांव में Konyak Naga जाती के लोग रहते हैं। इनका एक अनुवांशिक मुखिया है, जिसे अंग कहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की इस राजा की 60 बीवियां हैं। यही नहीं ये म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश तक फैले 70 से ज़्यादा गांव पर राज करता है।
है अनुमति
यहां के लोगों को बिना वीजा म्यांमार में घूमने की इजाजत है। इन लोगों ने तिब्बती और म्यांमारी दोनो भाषाओं को मिलाकर अपनी एक भाषा बना ली है। आश्चर्य की बात है कि कई कोनाक परिवारों की रसोइयां म्यांमार में हैं जबकि वो सोते भारत में हैं।
हिंसा के लिए जाने जाते हैं
Konyak naga जनजाति क लोग अपनी हिंसक प्रवृति के लिए जाने जाते हैं। ये आधिकारिक तौर पर मान्यता रखने वाली 16 जनजातियों में से एक है। इस जनजाति के जिस योद्धा के पास अपने दुश्मन के सबसे ज्यादा सिर होते हैं उसको बेहद ताकतवर समझा जाता है।
दो देशों की नागरिकता
इस गांव के लोगों के पास भारत और म्यांमार दोनों देशो की नागरिकता है। यहां वर कई परिवार तो ऐसे हैं जो दिन में म्यांमार में रहते हैं तो रात में सोने के लिए भारत आ जाते है। यह बात अपने आप में काफी रोचक है।
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