पहले ही सरकार के नोटबंदी और जीएसटी जैसे मामलों पर सरकार को गलत बता चुके यशवंत सिन्हा ने अब कश्मीर मसले को लेकर बयान दिया है। उन्होंने ने कहा है कि भारत ने घाटी के लोगों को भावनात्मक तौर पर खो दिया है और पाकिस्तान, कश्मीर मसले में जरूरी तीसरा पक्ष है, जिससे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा किसी को वहां जाकर इस मुद्दे का हल जल्दी निकालना होगा। वो पहले ही बढ़ती बेरोजगारी का ठीकरा सरकार के सिर फोड़ चुके हैं।
क्या बोले अरुण शौरी
अरुण शौरी ने कहा ने कहा है कि नोटबंदी काले धन को सफेद करने के लिए सरकार की ओर से चलाई गई सबसे बड़ी स्कीम थी। जिसके पास भी काला धन था उसने सफेद कर लिया। उन्होंने आगे कहा कि रिजर्व बैंक के मुताबिक नोटबंदी के बाद निन्यानवे प्रतिशत पुराने नोट वापस आ गए इसका मतलब साफ है कि नोटबंदी से काला धन नष्ट नहीं हुआ है। इसके अलावा जीएसटी पर शौरी का कहना है कि ये अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बड़ा कदम था लेकिन इसे ठीक से लागू नहीं किया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भी ऊंगली उठाते हुए कहा कि आर्थिक नीतियों पर बड़े फैसले एक चैंबर में बैठकर सिर्फ ढाई लोग ले रहे हैं।
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शत्रुघ्न सिन्हा भी रहे हैं खफा
इस कड़ी में एक और सबसे बड़ा नाम शत्रुघ्न सिन्हा का रहा है जो हमेशा काफी मुखर स्वर में बीजेपी की नीतियों का ना सिर्फ विरोध करते रहे हैं बल्कि कई बार उसके विरोधी नेताओं की तारीफ भी करते रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी है और वो सारे प्रयासों के बावजूद कभी भी पार्टी की सरकारों में बड़े पद पर नियुक्त नहीं हो सके।
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सुब्रमण्यन स्वामी भी खफा
ऐसा ही एक नाम सुब्रमण्यन स्वामी का भी है जो समय समय पर बीजेपी की नीतियों और फैसलों पर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली की योग्यता को ही कई बार कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने भी नोटबंदी पर उंगली उठाते हुए कहा था कि सरकार की नीतियों की वजह से देश आर्थिक मंदी के खतरे की ओर बढ़ रहा है।
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शिवसेना भी रही है विरोध में
बीजेपी की प्रमुख सहयोगी शिवसेना भी समय समय पर सरकार से विरोध जताती रही है। पिछले दिनों हुए मंत्रीमंडल के फेरबदल से लेकर नोटबंदी जैसे कई मामलों पर शिवसेना अपनी नाराजगी दिखाती रही है और अपना सर्मथन वापस लेने की धमकी भी देती रही है। बीते दिनों भी शिवसेना के मुखपत्र सामना में इस तरह की बात की गई थी।
संघ का रूख भी टेढ़ा
इतना ही नहीं बीजेपी का मूल संगठन आरएसएस भी उसके कुछ फैसलों को सर्मथन नहीं देता। हाल ही में संघ के वरिष्ठ विचारक और अर्थशास्त्री गुरुमूर्ति ने आर्थिक नीतियों को लेकर नाराजगी दिखाई थी। एक अंग्रेजी दैनिक को दिये गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि देश की अर्थ व्यवस्था ठीक नहीं है ये डूबने की कगार पर है।
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