नंबर 9- अजहर मसूद
अज़हर मसूद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का स्थापक और नेता है जो पाकिस्तान शासित कश्मीर से संचालित होता है। मसूद को पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत में हुए पठानकोट हमले के बाद उसे हिरासत में ले लिया था। इसी शख्स को भारत ने उसकी आतंकी गतिविधियों की वजह से उसे अपने सबसे वांछित आतंकवादियों की सूची में रखा हुआ है। अज़हर की बानुरी नगर, कराची के जामिया उलूम उल इस्लामिया के मदरसे में पढ़ाई के दौरान हरकत-उल-अंसार से मुलाकात हुई। अज़हर ने खुद माना था कि 1993 में वो अल कायदा के सोमालियाई समर्थक संगठन अल-इतिहाद-अल-इस्लामिया के नेताओं से पैसे और कार्यकर्ता मांगने के लिए मिलने नैरोबी और केन्या गया था। 1994 में वो हरकत-उल-अंसार के समर्थक हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी और अह्रकत-उल-मुजाहिद्दीन के बीच खराब होते रिश्तों को सुधारने श्रीनगर भी आया। आतंकी गतिविधियों की वजह से भारत ने उसे गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिया। तब 1995 में अल-फरान नाम के संगठन ने, जम्मू और कश्मीर में कुछ विदेशी पर्यटकों को अगवा कर उन्हें छोडने के बदले अज़हर की रिहाई मांग की थी। जिनमें से एक अपहृत पर्यटक भागने में कामयाब रहा लेकिन बाकी सभी की हत्या कर दी गयी। दिसम्बर 1999 में उसे विमान इण्डियन एयरलाइन्स फ्लाइट 814 के यात्रियों को हाईजैक के बदले छोड़ना पड़ा। अपने छूटने के कुछ ही समय बाद अज़हर ने कराची में करीब 10000 लोगों की एक सभा को संबोधित करते हुए भारत प्रशासित कश्मीर को आज़ाद कराने की कसमें खाते हुए कहा कि, मुस्लिमों को तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिये जब तक वो हिन्दुस्तान को तबाह ना कर दें।
नंबर 8- जकीउर रहमान लखवी
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक अहम सदस्य जकीउर रहमान लखवी का उपनाम चाचू बताया जाता है। उसका जन्म 1960 में पाकिस्तान के ओकरा, पंजाब में हुआ। घोषित आतंकी जकीउर रहमान लखवी पर भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप है। संयुक्त राष्ट्र ने मई 2008 में, भारत में कई बड़ी वारदातों को अंजाम देने वाले इस आतंकी के संगठन लश्कर-ए-तैयबा को प्रतिबंधित कर दिया था। पाकिस्तान सरकार ने दबाव के चलते उसे 7 दिसंबर 2008 को पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप से गिरफ्तार करने के बावजूद भारत को सौंपने से इंकार कर दिया। बताया जाता है 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के मास्टरमांइड लखवी ही था। हमले में पकड़े गए इकलौते जिंदा आतंकी अजमल कसाब के अनुसार उसे और बाकी सभी आतंकियों को ट्रेनिंग देने वाले लखवी ने कसाब के परिवार को डेढ़ लाख रूपए भी दिए थे। 10 अप्रैल 2015 को लखवी जेल से रिहा कर दिया गया। ऐसी सूचना है कि उसकी रिहाई के पीछे पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ था। लखवी भारत का एक बड़ा दुश्मन है, जिसकी देश की तमाम खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां कई वर्षों से तलाश कर रही हैं।
नंबर 7- सैयद सलाहुद्दीन
1990 से पहले सैयद सलाहुद्दीन को कश्मीर में कांग्रेस के एक बड़े नेता यूसुफ शाह के नाम से जाना जाता था। 1987 में कश्मीर विधानसभा चुनाव में वह बडगाम जिले की अमिरा-कडाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार था। उसका कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी को जिताने के लिए उसे धोखा दिया गया। इस वजह से वह चुनाव हार गया। उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में जब वह बडगाम अपने गांव सोमवग पहुंचा, तब उसका जोरदार स्वागत हुआ और हाथ में बंदूक लेकर उसने मंच से जहर उगला। उसने कहा कि वो शांतिपूर्ण तरीके से विधानसभा में जाना चाहता था लेकिन उसे ऐसा नहीं करने दिया गया। उसने कहा कि उसकी आवाज को दबाने के लिए उसे प्रताड़ित किया गया। उसने गांव वालों से कहा कि कश्मीर मुद्दे के लिए हथियार उठाने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इसके बाद उसने नारा लगाया कि हमें क्या चाहिए आजादी और गांव वालों से उसे दोहराने के लिए कहा। अब वो पाकिस्तान में यूनाइडेट जिहाद काउंसिल का सरगना है। 5 नवंबर 1990 को वो यूसुफ शाह सैयद सलाहुद्दीन बन गया। वह सीमा पार कर मुजफ्फराबाद पहुंचा था, फिर हिजबुल मुजाहिदीन नामक संगठन बनाकर जम्मू-कश्मीर में आंतकवादी गतिविधियां संचालित करने लगा। पठानकोट एयरबेस स्टेशन पर हमले की जिम्मेदारी यूनाइडेट जिहाद काउंसिल ने ही ली थी जिसका इसका सरगना सैयद सलाहुद्दीन है। इस कांउसिल में जैश-ए-मोहम्मद जैसे कई आतंकी संगठन शामिल हैं।
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नंबर 6- मेजर इकबाल
एक अन्य मोस्ट वांटेड शख्स मेजर इकबाल के बारे में कहा जाता है कि आईएसआई का एक अधिकारी है और पाकिस्तान सेना में मेजर है। उस पर भी मुंबई हमले में शामिल होने का आरोप है। अब गवाह बन चुके मुंबई हमले के प्रमुख आरोपी पाकिस्तानी मूल के डेविड हेडली की गवाही के अनुसार मेजर इकबाल 26/11 के अटैक के समय उसका हैंडलर था। मेजर पर एफबीआई की ओर से भी केस दर्ज है। मेजर इकबाल का नाम एनआईए की ओर से तैयार मोस्ट वांटेंड लिस्ट में भी शामिल है। फिल्हाल उसका कोई भी फोटो उपलब्ध नहीं है।
नंबर 5- साजिद मीर
साजिद माजिद उर्फ साजिद मीर लश्कर ए तैयबा का कमांडर है और 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले का नेतृत्व करने में उसका ही नाम लिया जाता है। हमले से पहले उसने डेविड हेडली के साथ मुंबई का दौरा भी किया था। इससे पहले 2005 में भी वह क्रिकेट मैच देखने के बहाने कई बार भारत आ चुका था। सूत्रों के अनुसार मुंबई हमले के समय वह कराची में एक सुरक्षित मकान से आतंकियों को इंटरनेट फोन से निर्देश दे रहा था। हेडली ने अपनी गवाही के दौरान फोन पर मीर की आवाज पहचानी थी। साजिद मीर लश्कर में भर्ती करने के लिए विदेशी सदस्यों की व्यवस्था भी करता है। वह लश्कर के लिए आतंकी शिविरों को भी आयोजित करता है। इंटरपोल के अनुसार, 38 साल का मीर पाकिस्तानी मूल का नागरिक है, जो आपराधिक कार्यों, आतंकवाद और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी है। दुनिया भर में लश्कर के आतंकियों से संपर्क करने के लिए मीर सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल करता है। उसे कम्प्यूटर व साइबर वर्ल्ड की अच्छी समझ है। वह ई-मेल आईडी को हैंडल करने में सावधान रहता है क्योंकि वो बेहद चतुर और काबिल हैंडलर है। पता चला है कि मीर ने एक बार प्लास्टिक सर्जरी भी कराई है, पर इससे उसके चेहरे में कोई बहुत फर्क नहीं आया है। मीर को एक बार दुबई में गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन वो अपने संपर्कों के चलते छूट गया।
नंबर 4- इलियास कश्मीरी
इलियास कश्मीरी आतंकी संगठन अल कायदा का सीनियर कंमाडर बताया जाता है। इसके अलावा वह हरकत उल जिहादी इस्लामी का सरगना भी है। उसने भारत में कई आतंकी हमलों की साजिश रची है। जिनमें पुणे की जर्मन बेकरी ब्लास्ट और 2002 में कोलकाता में अमेरिकी सेंटर पर हमला जैसी वारदातें शामिल है। 2008 में अहमदाबाद, जयपुर, दिल्ली और बेंगलुरू और मुंबई के 26/11 हमले में उसके आतंकी संगठन के शामिल होने की बात कही जाती है। सोवियत अफ़गान युद्ध, कश्मीर विवाद एवं भारत, संयुक्त राज्य एवं पाकिस्तान के विरुद्ध हमलों में भी उसके संगठन के योगदान की बात भी सामने आती है। अगस्त 2010 में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं संयुक्त राष्ट्र ने उसे बांछित आतंकवादी घोषित कर दिया था। कुछ समाचार एजेंसियों के अनुसार इलियास, ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल-कायदा में उसका संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा था।
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नंबर 3- छोटा शकील
खुफिया जानकारी के अनुसार छोटा शकील डी कंपनी के सरगना दाऊद इब्राहिम का दाहिना हाथ है। 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में वह मुख्य आरोपी है। उस पर बैंकॉक में एक अन्य वांछित अपराधी छोटा राजन पर हमला कराने का भी आरोप है। माना जाता है कि बॉलीवुड में भी उसका नेटवर्क है और अभिनेता संजय दत्त के साथ संबंधों के चलते भी वह सुर्खियों में आया था। भारत में डी कंपनी को चलाने में उसकी अहम् भूमिका बताई जाती है। खबरों की मानें तो ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद से वह पाकिस्तान छोड़ कर दुबई भाग गया है।
नंबर 2- हाफिज मुहम्मद सईद
आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जमात उद दावा का संस्थापक हाफिज सईद देश का दूसरे नंबर मोस्टवांटेड शख्स है। भारत के सर्वाधिक वांछित अपराधियों की सूची में शामिल हाफिज पर मुंबई के 26/11 हमले में शामिल होने का आरोप है जिसमें छह अमेरिकी नागरिक समेत 166 लोग मारे गए थे। इसके अलावा 2001 में संसद पर हुए हमले में भी उसकी भूमिका है। इन दिनों वह पाकिस्तान के लाहौर में रह रहा है। 26/11 हमले के बाद से ही भारत, पाकिस्तान से उसे सौंपने को कह रहा है। अमेरिकी सरकार की ‘रिवाडर्स फॉर जस्टिस’ प्रोग्राम की वेबसाइट में भी हाफिज़ सईद को प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा का प्रमुख और चरमपंथी गुट लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक बताया गया है। अमेरिका की दुनिया में 'आंतकवाद के लिए जिम्मेदार' लोगों की सूची में भी हाफिज का नाम है। 2012 से अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। सईद अरबी और इंजीनियरिंग का पूर्व प्राध्यापक रहा है। उसका मकसद भारत के कुछ हिस्सों और पाकिस्तान में इस्लामी शासन स्थापित करना है। मुंबई आतंकी हमलों में उसकी भूमिका को लेकर भारत ने सईद के खिलाफ इंटरपोल रेड कार्नर नोटिस जारी कर रखा है। अमेरिका ने भी उसे विशेष निगरानी सूची में रखा है।
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नंबर 1- दाउद इब्राहीम कासकर
दाऊद इब्राहीम कासकर देश का सबसे वांछित अपराधी और आतंकी है। भारत सरकार को उसकी काफी अरसे से तलाश है। उसने देश में हुई कई आतंकी घटनाओं में आतंकियों की आर्थिक मदद की है। उसकी डी कंपनी भारत में जाली नोटों और नशीली दवाओं का रैकेट चलाती है। डी कंपनी ने पैसे लेकर देश में कई हत्याओं को भी अंजाम दिया है। भारतीय अपराध जगत में इससे बड़ा नाम अभी तक सामने नहीं आया है, पर जिसे मुंबई पुलिस और खुफिया विभाग पकड़ने में आज तक कामयाब नहीं हुआ है। इस समय उसके पाकिस्तान में मौजूद होने के कई प्रमाण सामने आते रहे हैं। अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहीम और उसके छोटे भाई अनीस इब्रहीम पर सबसे गंभीर आरोप है कि इन्होंने टाइगर मेमन के साथ मिलकर 12 मार्च 1993 को मुंबई विस्फोट का आधार तैयार किया। इन धमाकों में 257 लोग मारे गये और 500 से ज्यादा लोग घायल हुये। दाऊद ने 1975 में अंडरवर्ल्ड डॉन रहे करीम लाला और हाजी मस्तान के गैंग से जुड़ने के बाद अपराध जगत में अपनी शुऱूआत की। खबर तो यहां तक है कि रियल स्टेट में वो कट नहीं हिस्सेदारी मांगता था। जब उसके बढ़ते अपराधों के चलते दवाब बढ़ने लगा तो 1984 में अपने 5 भाईयों और तीन बहनों के साथ वह दुबई भाग गया। उसकी एक बहन हसीना मुंबई में हीं रह गई। इसके बाद दाऊद ने दुनिया के कई देशो में अपनी गतिविधियां फैला लीं और बड़ा करोबार कर लिया। उसके अंतर्गत काम करने वाले लोग डी कंपनी के सदस्य कहलाने लगे। इस समय वो सालों से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आया है और खबर है कि उसने प्लास्टिक सर्जरी कराली है जिसके बाद वो कैसा दिखता है इस बारे में कोई नहीं जानता।
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