गड़बडिय़ां का मिल गया है सुराग
हैरत की बात यह है कि आजम और जल निगम के अफसरों ने सरकारी कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। आजम के दबाव में लिपिक और आशुलिपिक की भर्तियां उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के बजाय जल निगम से कराने की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी। एसआईटी के सूत्रों की मानें तो भर्ती प्रक्रिया और प्रश्न पत्रों की जांच के दौरान चार कैंडीडेट ऐसे पाए गये जिनसे एसआईटी को भर्ती में गड़बडिय़ां अंजाम दिए जाने का सुराग मिल गया। इनमें मोहम्मद शम्स, सैयद अहमद अली, समराह अहमद और कैलाश विश्वकर्मा शामिल हैं जो रामपुर, अलीगढ़ और लखनऊ के रहने वाले हैं।
आरोपितों पर शिकंजा कसा जाना
अब एसआईटी सबसे पहले इन चारों को तलब कर पूछताछ करने की तैयारी में है। दरअसल जब इनकी आंसर शीट की जांच की गयी तो पाया गया कि चारों द्वारा 80 में से 28 नंबर के सवालों के जो गलत विकल्प चुने गये, वह एक जैसे थे। इससे साफ हो गया कि भर्ती परीक्षा में पारदर्शिता नहीं अपनाई गयी और चहेते कैंडीडेट को पास कराने के लिए जमकर हेराफेरी हुई। अब इन चार युवकों से पूछताछ के आधार पर नामजद आरोपितों पर शिकंजा कसा जाना है। इसके अलावा इंटरव्यू लेने वाले अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए तलब कर उनके बयान दर्ज किए जाने हैं।
शासन का काम कर रहा था ओएसडी
जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी ओएसडी सैयद आफाक अहमद शासन के अधिकारियों का काम खुद करने लगा था। लिपिक और आशुलिपिक की परीक्षा एपटेक से कराने के लिए उसने खुद पत्रावलियों पर दस्तखत किए थे। नियमों के विपरीत चार पदों को सृजित करने उन पर नियुक्ति के आदेश पर भी दस्तखत किया था। जबकि ओएसडी को यह सब कार्य करने का कोई अधिकार नहीं था। इसके बावजूद 32 कैंडीडेट का साक्षात्कार न कराने जैसे अहम फैसले वह खुद ले रहा था। वहीं तत्कालीन एमडी पीके आसूदानी ने तो बिना कोई बैठक किए भर्तियां करने जैसा अहम फैसला ले लिया। इसके पीछे भी आजम का दबाव होने की बात सामने आ रही है।
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