1950 में बसाये गए थे ये गांव
मथुरा और वृंदावन का नाम आते ही श्रीकृष्ण की छवि उभरती है। अंडमान निकोबार द्वीप में भी मथुरा और वृंदावन नाम के दो गांव हैं। जहां पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थियों और अंग्रेजों के द्वारा कैद किये गए लोगों को बसाया गया था। अंडमान निकोबार के 572 द्वीपों में सिर्फ 36 पर आबादी है। राजधानी पोर्टब्लेयर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन दो गांवों में पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को बसाया गया था। यहां की जेलों में अंग्रेजों द्वारा कैद किये गए लोगों को 1950 में इन गांवो में बसाया गया।
चार हजार की है आबादी
इस गांव में बसने वाले अधिकांश लोग हिंदू बंगाली कृष्ण भक्त थे। जिसके चलते इस गांव का नाम मथुरा वृंदावन रखा गया। आज के समय में यहां के लोगों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यहां के 4000 हजार लोगों की आय का मुख्य स्त्रोत खेती है। इन्हें बसाने के समय 55 हेक्टेयर जमीन दी गई थी। लेकिन साल 2006 में आई भयंकर सुनामी के दौरान यहां के लोगों के घर तो उजड़ ही गए। खेतों में भी समुद्र का खारा पानी घुस आया जिससे मिट्टी की उर्वरता समाप्त हो गई। जीवनयापन के लिए लोग यहां घर के आहाते में सुअर, मुर्गी, बकरी आदि के रहने का प्रबंध होता है।
सुनामी के बाद बिखर गया गांव
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