जब उनसे पूछा गया कि परवेज़ मुशर्रफ़ ने स्पष्ट कहा था कि पाकिस्तान, कश्मीर का अपने क्षेत्र में विलय देखना नहीं चाहता है बल्कि उन्होंने विसैन्यीकरण और कश्मीर को अधिक स्वयत्तता देने की बात कही थी, साथ ही मुशर्रफ़ ने कहा था कि समय के साथ पाकिस्तान इस बात को स्वीकार कर लेगा कि कश्मीर उसका नहीं भारत का अंग है. तो क्या इससे यह संकेत नहीं मिलता कि पाकिस्तान ने समाधान की दिशा में क़दम बढ़ाए हैं?
इस पर उमर अब्दुल्ला ने जवाब दिया, "मुझे लगता है कि मुशर्रफ़ के समय में हमने एक अच्छा मौका गँवा दिया. यदि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार, परवेज़ मुशर्रफ़ के दीर्घकालिक चार सूत्रीय कार्यक्रम पर चलती है तो हम समाधान के क़रीब हो सकते हैं."
जब उनसे पूछा गया कि नवाज़ शरीफ़ भी तो आपसी व्यापार और द्विपक्षीय रिश्ते बेहतर करने की बात कर रहे हैं तो उन्होंने जबाव दिया कि नवाज़ शरीफ़ कश्मीर के मुद्दे पर ऐसी कोई बात नहीं कर रहे हैं जो उनकी पिछली सरकारों से अलग हो.
जान के दुश्मन
तो क्या आप यह मानने को तैयार नहीं हैं कि कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत के लिए पाकिस्तान की नीयत साफ़ है? इस सवाल पर उमर ने कहा, "दुर्भाग्य से हाल ही में मुझे इसका कोई सबूत नहीं मिला."
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह पाकिस्तान के साथ स्वयं सीधी बातचीत करते हैं तो उमर ने जबाव दिया कि नहीं.
उमर ने कहा, "हम पड़ोसी ज़रूर हैं लेकिन हमारे रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं. मैं हर समय इसलिए ही सुरक्षा से घिरा रहता हूँ क्योंकि पाकिस्तान में बहुत से ऐसे लोग हैं जो मुझे ज़िंदा देखना नहीं चाहते हैं."
कश्मीर का पहाड़ी क्षेत्र 60 सालों से अधिक से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का कारण है.
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