अगवा की गई छात्राओं की रिहाई के लिए चिबोक में हुए प्रदर्शन में इनमें से कुछ लड़कियाँ भी शामिल हुईं.
प्रदर्शन में शामिल लड़कियों से जब बात की गई तो उनमें से एक ने बताया, "अपहरणकर्ता चरमपंथियों ने कहा कि अगर हमने भागने की कोशिश की तो वे गोली मार देंगे. लेकिन मैं कूद कर भाग गई और एक पेड़ के नीचे रात भर छुपी रही."
बदलती स्थिति
लड़कियों को छुड़ाने के लिए राजधानी अबुजा में "हमारी लड़कियों को वापस लाओ" नाम से विरोध प्रदर्शन हुआ.
विरोध प्रदर्शन का मक़सद नाइजीरियाई सरकार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाना हैं.
मुहिम में शामिल एक प्रदर्शनकारी हादीज़ा बाला उसमान ने कहा, "पूरी दुनिया का ध्यान इस तरफ दिलाने की जरूरत है कि 200 छात्राओं के अपहरण पर चुप्पी स्वीकार करने लायक नहीं है. विरोध के माध्यम से हम सरकार को उसके रवैये पर फिर से सोचने के लिए मज़बूर करना चाहते है जिसने शुरू में इस मुद्दे को नज़रअंदाज किया. "
बीबीसी संवाददाता जॉन सिम्पसन ने बताया कि ऐसा लगता है कि सरकार ने शुरू में तनिक भी गंभीर कोशिश नहीं की है लेकिन अब स्थिति बदलती लग रही है.
नाइजीरिया में आयोजित होने वाले विश्व आर्थिक फ़ोरम की मीटिंग में हर कोई अगवा हुईं स्कूली छात्राओं के बारे में सोच रहा है. फ़ोरम में दो मिनट के लिए मौन भी रखा गया. नाइजीरिया अफ्रीका महाद्वीप की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है.
बीबीसी से बात करते हुए राष्ट्रपति गुडलक जोनाथन कहते हैं, "चरमपंथ दुनिया को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती. चरमपंथ अफ्रीका को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती. चरमपंथ नाइजीरिया को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती. देश को मिलने वाली अतिरिक्त सहायता और निवेश से नाइजीरिया में चरपमंथ को ख़त्म करने में कामयाबी मिलेगी. "
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