मार्गरिटा विथ आ 'स्ट्रॉ सेरिब्रल पाल्सी' को सेंटर स्टेज बनाने के बाद अब Severe Combined Immunodeficiency बीमारी से ग्रसित आएशा चौधरी नाम की एक लड़की की कहानी कहती ये फिल्म काफी चर्चा में है।
कहानी
एक परिवार की कहानी है जिसकी बेटी को SCID की जानलेवा बीमारी है
रेटिंग : 3.5 स्टार
समीक्षा
अगर घर में कोई ऐसा हो जो जानलेवा बीमारी से ग्रसित हो और घर वालों को ये पता हो कि एक दिन ऐसा आएगा कि वो शख्स जल्द ही न होगा तो क्या मनोस्थित होती है ऐसे परिवार की। थीम बहुत पोइगनेंट है और है और कई फिल्मों ने इस थीम को दिखाया है जैसे आनंद, मिली और दर्द का रिश्ता। मोस्टली इस तरह की फिल्म्स काफी इमोशनल होती हैं और इस लिहाज से ये फ़िल्म भी अंत मे काफी इमोशनल है, पर उससे पहले ये फ़िल्म थोडा फिल्मी हो जाती है। फ़िल्म का फोकस कई बार माँ बाप की कहानी पर चला जाता है। जो फ़िल्म की मेन थीम से ध्यान भटकाता है। पर कहते हैं कि अंत भला तो सब भला, इस लिहाज से फ़िल्म अंत मे आकर बेहतर हो जाती है और आपके आँसू छलक पड़ते है। ऊपर जिन फिल्मों की बात की है उन सब फिल्मों की झलक आपको स्काई इज़ पिंक में ज़रूर दिखाई देगी। डायरेक्शन अच्छा है
क्या है कमी
फिल्म की एडिट खराब है, फ़िल्म बेवजह काफी लंबी महसूस होती है।
अदाकारी
जायरा वसीम का काम बहुत ही अच्छा है, दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार से एक कदम आगे जाकर वो साबित करती हैं कि वो बहुत अच्छी एक्ट्रेस हैं। अफसोस ये उनकी आखिरी फ़िल्म कही जा रही है। रोहित सर्राफ भी बहुत ही बढ़िया एक्टर हैं, उनके सभी सीन, खासकर जो जायरा के साथ हैं माइंड ब्लोइंग हैं। प्रियंका और फरहान को ज़्यादा स्क्रीन टाइम देने के चक्कर मे उनके रोल को बढ़ाकर लिखा गया है, एक्टिंग अच्छी है पर ये फ़िल्म के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ है।
कुल मिलाकर ये फ़िल्म शोनाली बोस की मार्गरिटा विथ आ स्ट्रॉ की तरह हार्ड हिटिंग तो नहीं है पर फ़िल्म फिर भी देखने लायक है। दर्द के रिश्तों की ये कहानी देखने ज़रूर जाया सकता है।
बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन:
फ़िल्म वर्ड ऑफ माउथ से अगर चल निकली तो 40 से 50 करोड़ कमा सकती है
Review by: Yohaann Bhaargava
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