ऐसे में पुलिस मदद लेती है रजनी पंडित की. और इस केस को हल करने के लिए रजनी उस महिला के घर पर नौकर बन कर रहने का फ़ैसला करती हैं.
वो औरत रजनी का इंटरव्यू लेती है और फिर उससे पूछताछ के बाद अपने घर पर उन्हें काम दे देती है. और यहां से शुरू होता है रजनी का मिशन.
ये किसी थ्रिलर फ़िल्म की कहानी नहीं बल्कि असल ज़िंदगी की घटना है.
पुलिस ने जिन रजनी पंडित की मदद ली वो 25 सालों से जासूसी का काम कर रही हैं और उन्होंने कई पेचीदे मामलों को सुलझाया है.
नौकर बन सुलझाया केस
लेकिन इस महिला को रजनी ने पकड़ा कैसे?
बीबीसी को रजनी ने बताया, "उस महिला के रिश्तेदारों और पड़ोसियों को उस पर शक था. शुरू-शुरू में मैंने उसके घर पर हर काम किया. झाड़ू-पोंछा लगाया, खाना बनाया. धीरे-धीरे वो मुझ पर पूरा भरोसा करने लगी. फिर मैंने उसके ख़िलाफ़ सबूत इकट्ठा करने शुरू किए."
"उसने जिन कॉन्ट्रेक्ट किलर्स को हत्या के लिए पैसे दिए थे वो उससे मिलने घर आते. मैंने उनकी बातचीत सुनी. सबूत इकट्ठे किए और फिर वो पुलिस को सौंप दिए. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया."
रजनी जब 21 साल की थीं तभी से उन्हें जासूसी का चस्का लग गया था.
रजनी की शुरुआत
अपनी शुरुआत के बारे में उन्होंने कहा, "बड़ी चुनौती थी. पहले तो अख़बार वाले मेरा इश्तेहार भी नहीं छापते थे. मेरा मज़ाक उड़ाया जाता. मुझे क्लाइंट नहीं मिलते. लोग कहते थे कि औरतों के पेट में तो कोई बात ही नहीं पचती. ऐसे में तुम क्या जासूसी करोगी."
लेकिन धीरे-धीरे रजनी का काम चल निकला और लोग उनके पास अपने केस लेकर आने लगे.
फ़िल्मों में एक जासूस को कई बार अपनी वेशभूषा और रूप बदलना पड़ता है. क्या रजनी को कभी इस स्थिति से गुज़रना पड़ा?
उन्होंने बताया, "मुझे कई बार मूक-बधिर बनना पड़ा. मैंने कई बार नेत्रहीन भी बनने की एक्टिंग की. कई बार कोई केस दो घंटे में हल हो जाता है तो कभी किसी केस को सुलझाने में एक साल तक लग जाता है."
सेलेब्रिटी जासूस
रजनी के पास आपराधिक मामलों के अलावा घरेलू केस और कॉर्पोरेट केस भी आते हैं. कई बार कोई बड़ा अधिकारी अपने मातहत कर्मचारियों पर नज़र रखने के लिए भी जासूसों की मदद लेता है.
रजनी अपनी फ़ीस दिन या घंटों के हिसाब से भी लेती हैं. वो आम तौर पर आठ घंटे की शिफ़्ट के 10 से 12 हज़ार रुपए तक लेती हैं.
महिला जासूसों की दुनिया में रजनी किसी सेलेब्रिटी से कम नहीं है. शिवसेना के पूर्व प्रमुख स्वर्गीय बाल ठाकरे ने उनके बारे में सुनकर उनसे मिलने की इच्छा जताई थी जिसके बाद रजनी ने ठाकरे से मुलाक़ात की थी.
रजनी ने जब अपनी तमाम केस स्टडीज़ को मिलाकर एक किताब लिखी तो उसे लॉन्च करने मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार पहुंचे थे.
पिछले तमाम सालों में जासूसी की दुनिया में उलझी रजनी को शादी के लिए वक़्त ही नहीं मिला, लेकिन उन्हें इसका कतई अफ़सोस नहीं है.
'करमचंद' ने बनाया जासूस
मंजरी सुर्वे, पिछले नौ सालों से जासूस हैं.
रजनी पंडित ने तो शादी नहीं की लेकिन एक अन्य महिला जासूस मंजरी सुर्वे पति और बच्चों के बावजूद अपने जुनून को बरकरार रखे हुए हैं.
मंजरी के जासूस बनने की दास्तां शुरू हुई पंकज कपूर के सीरियल 'करमचंद' से. उस किरदार को देखकर वो इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने भी ठान लिया कि वो जासूस बनेंगी.
कौन सा केस सुलझाना उनके लिए सबसे मुश्किल था?
रिसेप्शनिस्ट बनकर पति को पकड़ा
इसके जवाब में मंजरी ने बताया, "एक महिला को अपने पति पर शक था. उसका पति एक बड़े होटल में अधिकारी था. मैंने उस पर नज़र रखने के लिए उस होटल में तीन महीने तक रिसेप्शननिस्ट की नौकरी की और उसके पति पर नज़र रखी."
"वो किस-किस महिला से मिलता है मैंने सबकी लिस्ट बनाई. ऑफ़िस का काम ख़त्म होने के बाद वो किस किससे मिलता है इसका भी पता लगाया और फिर उसकी पत्नी को बताया."
'के लेडी'
इसी तरह से 15 साल से जासूसी का काम कर रही हैं कोमल अजय कपूर. वह जासूसी की दुनिया में 'के लेडी' के नाम से मशहूर हैं और दावा करती हैं कि आठ हज़ार से ज़्यादा केस निपटा चुकी हैं.
कोमल अजय कपूर बताती हैं, "मेरे पास जो क्लाइंट आते हैं वो बताते हैं कि महिला जासूस पर लोग ज़्यादा भरोसा करते हैं. जासूसी की दुनिया का एक उसूल है कि हम अपने क्लाइंट का नाम किसी को नहीं बताते. मेरे पास जो ज़्यादातर केस आते हैं वो पति-पत्नी के शक के मामलों वाले होते हैं."
कोमल ने बताया कि कई केस को हल करने के लिए उन्हें भिखारी और यहां तक कि पुरुष भी बनना पड़ा.
कोमल के तहत 70 से ज़्यादा नवोदित जासूस ट्रेनिंग ले रहे हैं.
इनके नाम और काम को देखते हुए विद्या बालन ने जासूसी पर आधारित अपनी आगामी फ़िल्म 'बॉबी जासूस' के लॉन्च पर कोमल अजय कपूर को बुलाया.
International News inextlive from World News Desk