स्टोरी
ये फिल्म न्यूज और मीडिया की दुनिया में पॉलिटिक्स और करप्शन से जंग की कहानी है। इस फिल्म का बैकड्रॉप यूएस-विएतनाम वॉर है।
समीक्षा
जिस तरह पिछले साल डनकर्क ने अपने तरीके से वैश्विक शांति पर अपने ही अलग अंदाज में बात की थी, उसी तरह से ये फिल्म भी वॉर, करप्शन और पॉलिटिक्स को मीडिया और न्यूज की आंखों से देखती है। इस फिल्म का मुख्य मुद्दा है बड़े-बड़े मुद्दों पर मीडिया की एहमियत और उससे जुड़ी हुई उनकी रिस्पॉन्सिबिलिटी को लाइमलाइट में लाना। मीडिया जिस तरह से आज कटघरे में खड़ा हुआ दिखता है, वो क्यों है इस बात का जवाब इस फिल्म से मिल जाता है। फिल्म का हर डिपार्टमेंट अमेजिंग है, खासकर स्क्रीनप्ले जो अपनी जटिल कहानी को इस तरह से सुनाता है कि आम आदमी को भी समझ में आ जाए।
एक्टिंग
एक से बढ़कर एक बड़े कलाकारों ने अपने अपने रोल में जान फूंक दी है और इसलिए फिल्म से आप पलक नहीं झपका पाते। इन्हीं की वजह से आपको लगने लगता है कि आप उनकी उसी भयावह परिस्थिति में उनके साथ हैं।
वर्डिक्ट: कुल मिलाकर ये फिल्म हर जागरुक इंसान, और पॉलिटिक्स और पॉवर में अंधे होकर जीने वाले पॉलिटीशिंयस और प्रेस को जरूर देखनी चाहिए। इस फिल्म को मिस मत कीजिए।
रेटिंग- 4.5*
Yohaann Bhargava
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