इंसान की उम्र से लेकर उसकी बुद्धि तक कई बातें उसके बर्थ मंथ से तय होती हैं. यह खुलासा एक नई साइंटिफिक स्टडी में किया गया है. ‘डेली मेल’ न्यूजपेपर के मुताबिक, इसमें यह भी बताया गया है कि बच्चे में अस्थमा और दिमागी बीमारियां ऑटिज्म सीजोफ्रेनिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस की आशंका उसकी मां द्वारा प्रेगनेंसी में ली गई धूप पर डिपेंड करती है.
वसंत ऋतु में जन्मे बच्चों में अस्थमा, ऑटिज्म, सीजोफ्रेनिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस और अल्जाइमर जैसी बीमारियों की आशंका अधिक होती है. इसमें याददाश्त कम होने के अलावा मानसिक संतुलन गड़बड़ाने लगता है. वहीं गर्मियों में पैदा होने वाले बच्चे इन बीमारियों से दूर रहते हैं.
स्टडी में यह भी पता लगा है कि जो बच्चे अप्रैल से जून में जन्म लेते हैं वो अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में जन्मे बच्चों के मुकाबले कम जीते हैं. साइंटिस्ट्स का मानना है कि यह अलग-अलग मौसम में सूर्य की घटती-बढ़ती तीव्रता पर निर्भर करता है.
बसंत से बेहतर पतझड़
अमेरिका में की गई इस तरह की स्टडी में दावा किया गया है कि पतझड़ के मौसम में जन्मे बच्चे बसंत में जन्मे बच्चों के मुकाबले 160 दिन अधिक जिंदा रहते हैं. बच्चा जब मां की कोख में होता है तो सूरज की रोशनी उस पर असर डालती है.
प्रेगनेंसी की शुरुआत के महीनों में बच्चे को अगर सूरज की रोशनी ढंग से न मिले, तो आगे चलकर यह उसके मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर काफी लंबे समय तक असर डाल सकता है. साइंटिस्ट्स ने बताया है कि मार्च और मई में पैदा हुए बच्चों को बीमारियां जल्दी-जल्दी होती हैं.
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