बगदाद के करादा इलाके की एक सड़क. टीवी शो का एक दल, सुरक्षाकर्मी और दो दोषी दिखाई दे रहे हैं.

ये वही करादा है जो हाल के दिनों में सिलसिलेवार हमलों का शिकार रहा है.

जैसे ही ये लोग हमले से प्रभावित जगह पर रुकते हैं आस पास की बालकनी में खड़े लोग उन्हें गालियां देने लगते हैं. दोषियों को करादा टीवी स्टूडियो वापस लाया जाता है.

ये जिस खास टीवी शो का दृश्य उसका नाम है, 'द ग्रिप ऑफ द लॉ'.

सरकारी टीवी चैनल का शो

'हमलावरों से एक मुलाकात' : इराकी टीवी शो

'द ग्रिप ऑफ द लॉ' टीवी पर दिखाया जाने वाला इराक का ऐसा रियलिटी शो बन गया है है जो अपने कार्यक्रम में हमले के दोषियों को बुलाता है और उनका सामना पीड़ितों के रिश्तेदारों से करवाता है.

इस साप्ताहिक शो को इराक के सरकारी टीवी चैनल 'इराकिया' ने गृह मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया है.

शो का सबसे खास पल वो होता है जब आमंत्रित पीड़ितों के परिजन गोलीबारी के दोषियों पर अपनी भड़ास निकालते हैं और वे ये सब सिर झुकाए चुपचाप सुन रहे होते हैं.

सरकारी चैनल 'इराकिया' के इस टीवी शो में अब तक अबू जसेम जैसे कैदियों को बुलाया जा चुका है. अबू जसेम इस्लामिक स्टेट के हमलो में शामिल होने के दोषी पाए गए हैं.

'हमलावरों से एक मुलाकात' : इराकी टीवी शो

हमले में अपनी भूमिका के बारे में जब अबू विस्तार से बताते हैं तो बेहद घबड़ाए हुए दिखते हैं.

शो के आखिर में जब उनसे पूछा जाता है कि क्या उन्हें अपने किए पर पछतावा है तो अबू जसेम बुझे हुए स्वर में कहते हैं, "हां."

एक करोड़ दर्शक

अहमद हसन 'द ग्रिप ऑफ द लॉ' शो के प्रेजेंटर हैं.

अहमद शो में लाए जाने वाले हमलावरों के बारे में बताते हुए कहते हैं, "हमले में सबसे आगे रहने वाले लड़ाके सरल स्वभाव के होते हैं, वे पूरी तरह जागरुक नहीं होते हैं."

हसन बताते हैं, "जेल में रहने के बाद हमलावरों को अहसास होता है कि उन्होंने मासूमों का खून बहाया है. फिर वे इस्लामिक स्टेट से खुद को अलग-थलग महसूस करने लगते हैं."

उनके अनुसार 'द ग्रिप ऑफ द लॉ' शो को अब तक लगभग एक करोड़ लोग देख चुके हैं.

शो कहां हिट है?

'हमलावरों से एक मुलाकात' : इराकी टीवी शो

टीवी प्रेजेंटर

शो के प्रस्तोता अहमद उन्होंने बताया कि 'द ग्रिप ऑफ द लॉ' शो खासकर शिया बहुल इलाकों में खूब लोकप्रिय हो रहा है.

इसका कारण बताते हुए वे कहते हैं कि करादा जैसे इलाकों में अक्सर गोलीबारी होती रहती है जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश होता है.

इस इलाके में गोलीबारी से प्रभावित रेस्तरां के मालिक अम्मार बताते हैं, "ये बढ़िया शो है."

अम्मार गुस्से में कहतें हैं, "उन चरमपंथियों को या तो वहीं गोली मार देनी चाहिए या हमले में मारे गए लोगों के रिश्तेदारों के सामने ही फांसी पर लटका देना चाहिए."

मनगढ़ंत

'हमलावरों से एक मुलाकात' : इराकी टीवी शो

वहीं दूसरी ओर सुन्नी इलाके में इस 'द ग्रिप ऑफ द लॉ' टीवी शो में दिखाई जा रही बातों पर लोगों को भरोसा नहीं है.

बगदाद के अधमिया इलाके के एक व्यक्ति ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया, "मुझे तो ये सब मनगढ़ंत लगता है."

वे कहते हैं, "बड़े अधिकारी से जब किसी युवक की किसी बात पर अनबन हो जाती है तो चरमपंथी बताकर उससे हत्या की बात कबूल करवाई जाती है. हमारे कई रिश्तेदारों के साथ ऐसा हो चुका है."

वे शो पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि शो में जिन्हें भी लाया जाता है वे न तो आईएस के लड़ाके होते हैं और न ही उनका किसी हमले से कोई लेना देना होता है.

मासूमों के लिए अदालतें

'हमलावरों से एक मुलाकात' : इराकी टीवी शो

बगदाद के स्थानीय निवासी ये भी कहते हैं, "जब भी चरमपंथी समूह आईएस से संघर्ष में से कोई पकड़ा जाता है तो उसे अदालत में नहीं लाया जाता बल्कि उसे वहीं गोली मार दी जाती है. अदालतें तो मासूमों के लिए होती हैं."

इराक की इस न्याय व्यवस्था के बारे में अधामिया के अधिकांश लोग यही सोचते हैं.

ऐतिहासिक मस्जिद अबू हनीफा अल नूएमन के बाहर खड़ी एक महिला बताती है कि उसके भाई को साल 2007 में गिरफ्तार किया गया था.

महिला बताती हैं कि उसके भाई पर अलकायदा का सदस्य होने और हत्या का आरोप लगाया गया और फिर यातना देकर उससे अपराध कबूल करवा लिया गया.

भाई को फांसी की सजा सुनाई गई जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया. दो साल कैद में रहने के बाद अब उसकी कोई खबर नहीं है.

इराकी कैदियों पर लघु फिल्में बनाने वाले मानवाधिकार शोधकर्ता कहते हैं, "अधामिया के घर घर की यही कहानी है."

सरकारी दमन

'हमलावरों से एक मुलाकात' : इराकी टीवी शो

इसमें कोई अचरज नहीं लेकिन इस खास टीवी शो को लेकर लोगों में मिली जुली प्रतिक्रियाएं हैं.

साल 2003 में अमरीका की अगुआई में हमले के बाद हुए नरसंहार को लेकर इराक के लोगों का अनुभव कुछ और ही है.

अधिकांश लोग मानते हैं कि ज्यादातर सुन्नी सरकार के दमन का शिकार रहे जबकि नागरिक इलाकों पर हुए हमलों का खामियाजा शिया को उठाना पड़ा.

'हमलावरों से एक मुलाकात' : इराकी टीवी शो

टीवी शो पर आरोप है कि इसका झुकाव सरकार के युद्ध उद्देश्यों के प्रति ज्यादा है.

लोगों का कहना है कि ये टीवी शो सोच के अंतर की पड़ताल नहीं करता बल्कि इसका झुकाव सरकार के युद्ध उद्देश्यों के प्रति ज्यादा दिखाई देता है.

इराकी अधिकारियों पर बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी और लोगों की गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लेने के आरोप लगते रहे हैं.

कार्यक्रम में कई बार तो स्पष्ट रूप से और कई बार संकेत के रूप में ताकत और आईएस पर विजय का प्रदर्शन दिखाई देता है.

International News inextlive from World News Desk