डॉ. मार्टिल ने बताया
डॉ. मार्टिल ने बताया कि आम तौर पर ऐसा स्वीकार किया जाता है कि बेहद पुराने समय की छिपकलियां ही आगे चलकर विकसित होकर सांप बन गईं। इस तथ्य में जो चीजें वैज्ञानिक अभी तक नहीं जान सके, कि वो कब इस रूप में विकसित हुईं, क्यों हुईं और किसी प्रकार की छिपकलियों से इन्होंने अब सांप का रूप लिया। ये फोसिल इस तरह के अहम सवालों का जवाब देगा। उदाहरण के तौर पर उसे देखकर ये बात साफ हो गई कि जो सांप, छिपकलियों से विकसित हुए हैं, वे बिल खोदकर उसमें रहने वाली छिपकलियां थीं, न कि समुद्र में रहने वाली छिपकलियां।

रूटीन टिप पर थे डॉक्टर मार्टिन
डॉ. मार्टिल जर्मन के इस म्यूजियम में छात्रों के साथ एक रूटीन फील्ड ट्रिप पर पहुंचे थे। इसी दौरान उन्हें ये फोसिल मिला। उन्होंने बताया कि ये फोसिल पुराने समय के फोसिल्स की एक बेहद बड़ी प्रदर्शनी का हिस्सा था। इसे देखकर कम से कम एक बात तो साफ हुई। वह ये कि म्यूजियम में कोई भी इसकी अहमियत को नहीं समझ सका था। वहीं जब डॉ. मार्टिन ने इसे देखा, वह तुरंत समझ गए कि ये अविश्वसनीय रूप से कोई महत्वपूर्ण नमूना है।

ऐसी है फोसिल की बनावट
डॉ. मार्टिल ने इसपर जर्मन एक्सपर्ट हेलमट टिशलिंगर के साथ मिलकर काम किया। डॉ. लिंगरिच, जो सांपों की उत्पत्ति पर पहले ही काम कर चुके हैं, वह बताते हैं कि चार पैर वाले सांप शानदार लग रहा था। इस सांप को टीम की ओर से नाम दिया गया है टेट्रापोडोफिस एम्प्लेक्टस। ये सांप किशोर है और बहुत छोटा है। ये सिर से पूंछ तक 20 सेंटीमीटर का है। हालांकि अभी ये और ज्यादा लंबा हो सकता है। इसका सिर किसी वयस्क के नाखून के आकार का है और इसकी छोटी सी पूंछ की हड्डी एक मिलीमीटर का भी सिर्फ एक चौथाई हिस्सा है। इसके आगे के पैर बहुत छोटे हैं। ये करीब 1 सेंटीमीटर लंबे हैं। वहीं इसकी छोटी सी कोहनी, कलाई और हाथ भी है। ये लंबाई में महज 5 मिलीमीटर हैं। इसके पीछे के पैर कुछ लंबे हैं और पैर, हाथ की अपेक्षा कुछ बड़े हैं। इसका इस्तेमाल वो अपने शिकार को काबू में करने के लिए करते हैं। डॉ. लॉन्गरिच कहते हैं कि ये एक परफेक्ट सांप है। इसके छोटे हाथ, बड़े पैर लंबी उंगलियों और कोहनी के अलावा बाकी सबकुछ परफेक्ट है।

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ऐसा होता था टेट्रोपोडोफिस का रहन-सहन  
वह कहते हैं कि जब सांप ने चलने के बजाए रेंगना शुरू किया, उसके पैर बेकार हो गए। अब वो इनका इस्तेमाल किसी और काम के लिए करने लगे। वह बताते हैं कि अभी वो पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं कि वो कोई और काम क्या था। शायद शिकार को आकर्षित करना या अपने साथियों को बुलाना। इस टेट्रोपोडोफिस को सांप की ही श्रेणी में रखा गया है, न कि छिपकली की श्रेणी में। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका शरीर काफी लंबा है और इसकी पूंछ भी नहीं है। इसके मुंह में सांपों की तरह दांत थे। ये सब लक्षण फोसिल सांप की ओर ही इशारा करते हैं। ये टेट्रोपोडोफिस नमक की झील के तट पर रहते थे। वे रसीले पौधों से घिरे शुष्क माहौल में रहते थे। खाने के लिए ये शायद छोटे उभयचर और छिपकलियों को अपना खाना बनाते थे।

Courtesy by Mail Online

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