पहला ऐसा प्रयोग जो रहा सफल
यह पहला मौका है, जब अमेरिका में वैज्ञानिकों ने मानव भ्रूण के जींस में बदलाव किया है। इन वैज्ञानिकों ने एक आनुवंशिक दिल की बीमारी को खत्म करने के लिए मानवीय भ्रूणों के डीएनए को सफलतापूर्वक संपादित किया है। इससे पहले तक अमेरिकी शोधकर्ता ऐसा प्रयोग करने में सफल नहीं रहे थे। इस प्रयोग पर काम कर रहे शोधकर्ताओं ने एक इंटरव्यू में कहा कि वे अपने काम को बहुत बुनियादी मानते हैं। भ्रूण को केवल कुछ दिनों तक बढ़ने की इजाजत थी और गर्भावस्था पैदा करने के लिए उसे प्रत्यारोपण करने का कोई इरादा नहीं था। लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वे विज्ञान के साथ आगे बढ़ना जारी रखेंगे, भ्रूण में अनुवांशिक रोगजन्य जीन को सही करने के अंतिम लक्ष्य के साथ, जो बच्चों में विकसित होते हैं।
कैसे होते हैं तैयार
बता दें कि उल्लेखनीय प्रयोग की खबर पिछले हफ्ते प्रसारित हुई, लेकिन इसकी विस्तृत जानकारी बुधवार को नेचर में सार्वजनिक की गई। प्रयोग का नवीनतम उदाहरण है कि प्रयोगशाला उपकरण जिसे सीआरआईएसपीआर (या क्लस्टर्ड रेगुलरली इनर्सपेस्ड शॉर्ट पिलंड्रोमिक रेपिट्स) के रूप में जाना जाता है, एक प्रकार की 'आणविक कैंची' जीवन को हेरफेर करने की हमारी क्षमता की सीमाओं को आगे बढ़ा रही है। गौरतलब है कि इससे पहले ब्रिटेन में वैज्ञानिकों को भ्रूण के डीएनए यानी जींस में संशोधन करने की इजाज़त मिली थी। इसका मक़सद मानव जीवन के शुरुआती लम्हों को ज़्यादा बारीकी से समझना था। वहीं साल 2015 में चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उन्होंने खून में गड़बड़ी करने वाले जींस को सही करने के लिए मानव भ्रूण के जींस में संशोधन किया है।
नए विवाद का जन्म
हालांकि दुनियाभर में भ्रूण के जींस में बदलाव को लेकर काफी विवाद खड़ा होता रहा है। कुछ लोग ऐसे प्रयोगों को खतरनाक मानते हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि भ्रूण के डीएनए में छेड़छाड़ डिजाइनर बच्चों की तरफ बढ़ने का दरवाजा खोलने की ओर की राह है। अगर ऐसा मुमकिन हो जाता है, तो बच्चों के डीएनए में माता-पिता मनचाहा बदलाव करा सकते हैं।
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