न रेशियल, न पॉलिटिकल
इस बार मामला रेशियल भी नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि दंगाइयों के ग्रुप में हर रंग के चेहरे शामिल हैं. इसमें अगर ब्लैक हैं तो व्हाइट भी उतनी ही संख्या में हैं. इसका कोई पॉलिटिकल कनेक्शन भी नहीं नजर आ रहा है. इसमें ना तो कोई मैसेज है, ना कोई मोटिव है ना कोई कॉज और ना ही स्लोगन. हालांकि कुछ अपोजीशन पॉलिटिशियंस इन दंगों को शुरू में पीएम डेविड कैमरून द्वारा स्पेंडिंग कट्स का रिजल्ट बता रहे थे. मगर अभी तक यह यह भी साफ नहीं हुआ है.
तो यह है कारण!
माना जा रहा है कि सालों की बेरोजगारी से खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे युवक इन दंगों की अगुवाई कर रहे हैं. बड़े पैमाने पर दंगाइयों की उम्र 20 साल से कम है. अरेस्ट किया गया एक दंगाई तो 11 साल का है. यूरोपियन यूनियन की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में 17 परसेंट यूथ ‘नीट’ के तौर पर क्लासाीफाई किए गए हैं. ‘नीट’ का अर्थ है, नॉट इन इंप्लॉयमेंट, एजुकेशन ऑर ट्रेनिंग.
दूसरे शब्दों में कहें तो वे हाईस्कूल ड्रॉपआउट्स जिनके पास रोजगार का कोई मौका नहीं है. बता दें कि यहां अंडर-25 के 600,000 लोग हैं जिन्होंने एक भी दिन काम नहीं किया है.
चलो कपड़े उतारो
दंगाई खूब मनमानी कर रहे हैं. एक वीडियो में दिखाया गया है कि एक यंग मैन से लुटेरे उसके सारे कपड़े उतरवा लेते हैं. कुछ और जगहों पर भी इस तरह की घटनाएं सुनने को मिली हैं जहां दंगाइयों ने लोगों से उनके कपड़े तक उतरवा लिए.
Flame game
एक पुलिस ऑफिसर के मुताबिक दंगों और लूटपाट में शामिल बच्चे वॉयलेंट वीडियो गेम ‘ग्रैंड थेफ्ट ऑटो’ से इंस्पायर हैं. यह गेम काफी पॉपुलर है. 18 साल से कम एज वालों पर इसे खेलने और खरीदने पर भी रोक है. हालांकि यह टीनेजर्स में खूब पॉपुलर है. इसको एडिनबर्ग बेस्ड फर्म रॉकस्टार नॉर्थ ने बनाया है. गेम में कारजैकिंग्स, ड्राइव-बाई शूटिंग्स और प्रॉस्टीट्यूशन को दिखाया गया है. इसके लिए इसे काफी क्रिटिसाइज भी किया गया है. माना जाता है कि इस गेम की वजह से ब्रिटेन में किशोरों में जुर्म की प्रवृत्ति बढ़ी है.
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