घोड़ों की इस लड़ाई में एक रिंग के अदर इन घोड़ों को उतार दिया जाता है और वो एक दूसरे को लात पार कर और कूद कूद कर हमला करते हैं।
इस लड़ाई में कई बार वे एक दूसरे के नाजुक अंगों को भी निशाना बना लेते हैं।
इस लड़ाई के द्वारा विजेता को नेता मान कर उसके हिसाब से दल में हैरारिकी र्निधारित होती है।
लड़ाई में घोड़े अपने पैरों से एक दूसरे पर फंदा कस कर अपने शरीर के वजन से दूसरे को धराशायी करने का प्रयास करते हैं।
गुस्से से भरे ये घोड़े ण्क दूसरे पर दांत निकालते हुए खूंखार तरीके से हमला करते हैं।
हालाकि इस लड़ाई का आयोजन करने वालों ने फाइट में घोड़ों के कम से कम घायल होने की व्यवस्था के दावे किये थे, पर वे सब हवाई बातें साबित हुई हैं।
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