तीन साल बड़ी दोस्त से रचाई शादी
प्रेम एक ऐसा अहसास है जो किसी को भी कभी भी हो सकता है। ऐसी ही कहानी तिब्बती करमापा लामा 33 वर्षीय थाये दोरजे की है। उन्होंने अपनी बचपन की दोस्त से शादी करने के लिए भिक्षु का पद त्याग दिया और संन्यास छोड़कर गृहस्थ जीवन शुरू कर दिया। थाये दोरजे ने अपनी बचपन की दोस्त 36 वर्षीय रिंचेन यैंगजोम से शादी कर ली। जब थाये दोरजे 18 महीने के थे, तब से लोगों ने उनको करमापा लामा कहना शुरू कर दिया था। उनका यह पुनर्जन्म बताया जा रहा है। कुछ बौद्ध अनुयायी थाये दोरजे के प्रतिद्वंदी उर्गयेन त्रिनली को करमापा लामा मानते हैं। त्रिनली को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का भी समर्थन हासिल है। इस उपाधि को लेकर अदालत में मुकदमेबाजी तक हो चुकी है।
दो धड़ों में बंटे अनुयायी
करमापा लामा पद को लेकर छिड़े विवाद के चलते बौद्ध धर्म के अनुयायी 2 धड़ों में बंटे हुए हैं लेकिन जब थाये दोरजे की शादी की खबर सामने आई, तो सभी हैरान रह गए। उनके कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दोरज शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। बयान में कहा गया कि थाये ने बौद्ध भिक्षु पद यानी संन्यास को भी त्याग दिया है। थाये ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि शादी करने से न सिर्फ मुझ पर, बल्कि मेरे अनुयायियों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे हम सभी को लाभ होगा। थाये दोरजे ने कहा कि वह शादी के बाद भी करमापा लामा की जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहेंगे।
भारत में रहते हैं करमापा
17वें करमापा थाये दोरजे का जन्म 6 मई 1983 को हुआ था। तिब्बती बुद्धिज्म के चार सबसे बड़े स्कूलों में से एक कर्म काग्यू में साल 1994 में थाये दोरजे को 17वां कारमापा बनाया गया था। तब उनकी उम्र 11 साल थी। दोरजी सेंट्रल तिब्बत में पैदा हुए थे, लेकिन उनकी सारी जिंदगी भारत में गुजरी है। उनकी पत्नी रिंजन का जन्म भूटान में हुआ था। उनके पिता बिजनेसमैन हैं और मां हाउसमेकर हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई भूटान में ही हुई थी, लेकिन उनका भी अधिकतर वक्त भारत और यूरोप में बीता है। दोनों की मुलाकात भी भारत में हुई थी। बौद्ध भिक्षुओं का शादी करना कोई सामान्य बात नहीं है। दोरजी ऐसा करने वाले भले पहले व्यक्ति न हों, लेकिन आपने शायद पहली बार ऐसा कोई मामला सुना होगा। कर्म काग्यू के 15वें करमापा ने भी शादी रचाई थी।
असली और नकली का है विवाद
तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा के बाद करमापा लामा का पद दूसरा सबसे प्रभावशाली पद है। करमापा के लिए दो दो उत्तराधिकारी इस पद के लिए आपस में लड़ रहे हैं। लड़ाई में कानून का भी सहारा लिया जा रहा है। थाये दोर्जी को चुनौती दे रहे हैं उर्गयेन त्रिनली, जो 26 साल के हैं और जिनके भक्त उन्हें करमापा मानते हैं। करमापा विवाद में दलाई लामा, चीन की सरकार, भारत की सुप्रीम कोर्ट और एक प्राचीन और समृद्ध तिब्बती मठ भी फंसे हैं। सिक्किम के रूमटेक मठ में 1.5 अरब डॉलर के मूल्य का खजाना रखा है। दोनों में से उर्गयेन त्रिनली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा मशहूर हैं। चीन की सरकार और दलाई लामा, दोनों ने त्रिनली को करमापा के तौर पर मान्यता दे रखी है। दोर्जी दलाई लामा का सम्मान तो करते हैं, लेकिन उनका कहना है कि करमापा वाले मामले में दलाई लामा का कोई प्रभाव नहीं है।
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