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LUCKNOW : यूपी सालिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉनीटरिंग कमेटी ने प्रयाग की बायोमेडिकल वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सचिव राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इंस्पेक्शन के दौरान इस यूनिट में गंभीर खामिया पाई थी। जिसके बाद एनजीटी नई दिल्ली को इसकी रिकमेंडेशन भेजी गई हैं।
बरती जा रही थी लापरवही
सचिव राजेंद्र सिंह के अनुसार केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, यूपी पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के वैज्ञानिकों की टीम के साथ इंडिया प्रयागराज में स्थापित मेसर्स संगम मेडिसर्व प्रा। लिमिटेड निरीक्षण किया गया। जांच टीम ने पाया कि बायोमेडिकल वेस्ट को अलग अलग नहीं किया जा रहा था। इंसीनरेटर में मिक्स वेस्ट मिला। जिसमें ग्लास बाटल्स, कुल्हड़ सहित अन्य चीजें भी शामिल थी। यह सेंटर रोजाना करीब 1334.39 किलो मेडिकल वेस्ट रिसीव करता है। वहां पर यलो, रेड, व्हाइट, ब्लू कैटेगरी के लिए अलग अलग चैंबर थे लेकिन उन पर कोई मार्किंग या लेबल नहीं था। यह भी देखा गया कि अलग अलग प्रकार का बायोमेडिकल वेस्ट को बैग में मिक्स किया जा रहा था। जबकि वह बैग एक स्पेशल कैटैगरी के लिए होता है।
दिल्ली भेजी गई रिपोर्ट
इंस्पेक्शन रिपोर्ट और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मेसर्स संगम मेडिसर्व प्राइवेट लिमिटेड पर एनवायर्नमेंटल कंपेनसेशन के रूप में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के लिए एनजीटी नई दिल्ली को रिकमेंडेशन भेजी गई है। इसे यूनिट के निकट रह रहे लोगों के वेलफेयर के लिए प्रयोग किया जाएगा।
खतरनाक है मेडिकल वेस्ट
अधिकारियों के मुताबिक बायो मेडिकल वेस्ट को अलग अलग करके उसका निस्तारण करना आवश्यक है। यह वेस्ट बहुत खतरनाक होता है। इसमें खतरनाक वायरस बैक्टीरिया भी होते हैं। खून, मांस के टुकड़े, मानव अंग, इलाज में प्रयोग किया गया सामान सहित अन्य सामान होता है। इसलिए अलग करना जरूरी है। ताकि इसे ठीक से निस्तारित किया जा सके।
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