अपने वादे पर कायम नहीं रह सका फेसबुक
नई दिल्ली (आईएएनएस)। पिछले दिनों जब फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से यह पूछा गया कि क्या फेसबुक प्लेटफॉर्म पर मौजूद यूजर्स का डाटा खतरे में है। तो उन्होंने खुलकर जवाब दिया कि नहीं, ऐसा नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि यूजर्स का डाटा किसी भी तरह से लीक या चोरी नहीं हो सकता और उसे गलत तरह से शेयर भी नहीं किया जा सकता। हालांकि इसके कुछ दिनों बाद ही कैंब्रिज एनालिटिका डेटा स्कैंडल ने साबित कर दिया कि फेसबुक गलत था। इस मामले से पूरी दुनिया को पता चल गया कि फेसबुक पर मौजूद यूजर्स का तमाम डाटा बहुत सारी थर्ड पार्टी यूज कर रही है, क्योंकि फेसबुक की फायरवॉल्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस सिस्टम भी उन्हें रोक नहीं पा रहे हैं।
फेसबुक तमाम कंपनियों के साथ डाटा शेयरिंग भी करता है
हाल ही में कई मीडिय रिपोर्ट्स में इस बात का खुलासा हुआ कि सोशल मीडिया जॉयंट फेसबुक ने दुनिया की 60 स्मार्टफोन और डिवाइस मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को फेसबुक पर मौजूद तमाम यूजर्स और उनके दोस्तों का पर्सनल डाटा एक्सेस करने की परमिशन दी थी। बता दें कि इन कंपनियों में चीन की बहुत बड़ी कंपनी हुवावे, लेनेवो, ओप्पो और टीसीएल शामिल हैं। इसे देखकर यह बात साफ जाहिर होती है कि फेसबुक पर मौजूद दुनिया के 2.19 अरब एक्टिव यूजर्स (217 मिलियन इंडियन यूजर्स भी शामिल) वाले फेसबुक पर यूजर्स का तमाम पर्सनल डाटा मौजूद है और इस कारण फेसबुक पर्सनल डाटा माइनिंग का एक बड़ा मार्केट प्लेस बनकर सामने आया है। इस पर्सनल डाटा द्वारा फेसबुक समेत तमाम एडवरटाइजर्स पैसा बना रहे हैं। यही वजह है कि फेसबुक का एडवरटाइजिंग रेवेन्यू 49% बढ़कर 39.9 बिलियन डॉलर हो चुका है।
फेसबुक अपने यूजर्स के मूड और इमोशंस से भी पैसा कमाता है
फेसबुक दुनिया भर में विभिन्न तरह के पर्सपल डेटा का एक बड़ा पूल बनकर सामने आया है। जब इस डाटा को सही तरीके से क्यूरेट और प्रोसेस किया जाता है तो इसके द्वारा अलग-अलग उम्र और ग्रुप वाले लोगों को उनकी जरूरत और पसंद वाले ऐड टारगेट करने में कंपनियों को मदद मिलती है। हाल ही में फेसबुक के ऑस्ट्रेलिया ऑफिस में काम करने वाले दो एग्जिक्यूटिव्स द्वारा बनाई गई 23 पन्नों की एक गोपनीय रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई। यह रिपोर्ट बताती है कि फेसबुक अपने हर एक यूजर के पर्सनल डाटा के साथ ही उसके मूड, फीलिंग्स उसकी खुशी और गम को भी डाटा में कन्वर्ट करता है। फिर उसके हिसाब से एडवरटाइजर्स को उन पर विज्ञापन टारगेट करने को बढ़ावा देता है। हालांकि इस रिपोर्ट के बाद कंपनी ने इसे स्वीकार किया और फेसबुक पर बच्चों को भी टारगेट करने को लेकर माफी भी मांगी।
फेसबुक जैसी कई बड़ी कंपनियां यूजर्स डेटा को रखती हैं सुरक्षित
ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक की इस गोपनीय रिपोर्ट के कारण बवाल सा खड़ा हो गया। इसके बाद एक ऑस्ट्रेलिया न्यूजपेपर को फेसबुक के प्रवक्ता ने बताया कि हम इस मामले में एक खुली जांच करने जा रहे हैं और ऐसा करने वालों के खिलाफ हम तमाम अनुशासनात्मक कार्यवाही करेंगे। कंपनी की ओर से कहा गया है कि हम अपनी गलतियों से सीख रहे हैं साथ ही यह भी कहा गया है कि उनके प्लेटफॉर्म पर मौजूद यूजर्स का डाटा किसी भी थर्ड पार्टी को बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। इस मामले में फेसबुक की तुलना Microsoft और ऐपल जैसे दूसरी बड़ी टेक कंपनियों से की जा सकती है। इनके पास भी यूजर्स का तमाम पर्सनल और गोपनीय डाटा मौजूद है, लेकिन यह कंपनियां उसे सेफ रखने का पूरा प्रयास करती हैं।
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन को लेकर बनने चाहिए कड़े नियम
इस मामले में दुनिया की वो सभी कंपनियां और संस्थाएं जो लोगों का पर्सनल डाटा कलेक्ट और मैनेज करती हैं, उन पर कानूनी तौर पर यह प्रतिबंध होना चाहिए कि वह यूजर्स के पर्सनल डाटा का किसी भी तरह से मिस यूज नहीं करेंगे और उसे सुरक्षित बनाए रखने हर संभव प्रयास करेंगे। UK में हाल ही में लागू हुआ जनरल डाटा प्रोडक्शन रेगुलेशन यही कहता है कि यूजर्स के पर्सनल डाटा से जुड़े कुछ मूल अधिकार का सम्मान होना चाहिए। UK की इस पॉलिसी को लेकर फेसबुक ने तुरंत ही अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में तमाम बदलाव लाने शुरू कर दी हैं हालांकि सिर्फ UK के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी देशों के लिए भी फेसबुक को ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए।
फेसबुक के लिए यह है सबसे बड़ा सबक
यूएस सीनेट और यूरोपियन यूनियन के कानून निर्माताओं को फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा था कि हम फेसबुक पर मौजूद डाटा को सिक्योर करने के लिए 20 हजार लोगों की नई भर्तियां करने जा रहे हैं। फेसबुक ऐसा करे इससे पहले फेसबुक को यह बात जरूर सीखनी और समझनी चाहिए कि उस के प्लेटफार्म पर मौजूद तमाम यूजर्स गिनीपिग नहीं है, जिन्हें जब चाहे जैसे वो इस्तेमाल कर सकता है। वास्तव में इस प्लेटफार्म पर यूजर्स द्वारा दिए गए ऑनलाइन एक्सप्रेशंस और डेटा इंक्रिप्ट होकर ऑनलाइन लॉकर्स में सेफ रहने चाहिए। हालांकि फेसबुक डेटा के लीक और थर्ड पार्टी शेयर के मामले सामने आने के बाद अब दुनिया भर के यूजर्स बहुत अवेयर हो गए हैं और अब सरकारें भी सोशल मीडिया पर मौजूद डेटा की सिक्योरिटी के लिए नए नियम और कानून बनाने में जुट गई हैं।
Tech Analysis by: Nishant Arora
यह भी पढ़ें:
चीन को पीछे छोड़ अमरीका ने बनाया दुनिया का फास्टेस्ट सुपर कंप्यूटर, दो टेनिस कोर्ट के बराबर है आकार
ऑनलाइन प्राइवेसी बनाए रखने के लिए यह हैं लेटेस्ट तरीके, एक बार जरूर आजमाएं
इस कंपनी ने पब्लिक के लिए उतारी उड़ने वाली कार! सिर्फ 1 घंटे की ट्रेनिंग से उड़ा सकेंगे लोग
Technology News inextlive from Technology News Desk