कानपुर। साल 1990 से पहले भारतीय क्रिकेट टीम का कोई कोच नहीं था। उस वक्त जो कुछ भी थे, वो मैनेजर ही थे। फिर समय बदला और खिलाड़ियों की जरूरत भी। धीरे-धीरे खिलाड़ियों को एक गुरु की जरूरत पड़ने लगी। 1990 में तत्कालीन टीम मैनेजर बिशन सिंह बेदी को मैनेजर रहते हुए फुल टाइम कोच नियुक्त किया गया। हालांकि वह ज्यादा लंबे समय तक इस पद पर नहीं रहे। 1991 में अब्बास अली बेग ने बेदी को रिप्लेस करते हुए मैनेजर कम कोच की भूमिक निभाई। बेग 1992 वर्ल्डकप तक टीम इंडिया के साथ रहे, उसके बाद भारत को अजीत वाडेकर के रूप में फुल टाइम कोच मिला।
अजीत वाडेकर
पूर्व भारतीय क्रिकेटर अजीत वाडेकर पहले भारतीय कोच थे जिनका कार्यकाल लंबा चला। वाडेकर ने 1992 में कोच की जिम्मेदारी संभाली और 1996 तक इस पद पर रहे। चार साल के कार्यकाल में वाडेकर ने भारत को घर पर काफी सफलता दिलाई। उस वक्त टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन थे और वाडेकर की अजहर के साथ अच्छी बाॅन्डिंग थी। 1992 से लेकर 1994 तक घर पर भारत लगातार 14 टेस्ट नहीं हारा था।
संदीप पाटिल
क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद संदीप पाटिल ने भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच की भूमिका भी निभाई, हालांकि उनका कार्यकाल विवादों में रहा। 1996 में श्रीलंका में चार देशो के टूर्नामेंट के एक मैच में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से बड़ी बुरी तरीके से हार गई थी, जिसके बाद कोच संदीप पाटिल ने टीम को खूब खरी-खोटी सुनाई थी, लेकिन कप्तान और खिलाड़ियों को उनकी ये खरी-खोटी रास नहीं आई। बाद में कप्तान और खिलाड़ियों ने बोर्ड से संदीप पाटिल की शिकायत कर डाली और इसी के चलते संदीप पाटिल को कोच के पद से हटा दिया।
मदन लाल
मदन लाल ने साल 1987 में अंतर्रराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। 1996 क्रिकेट वर्ल्ड कप में मदन लाल ने यूएई टीम को कोचिंग दी थी। इसके बाद 1996 में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का भी कोच बनाया गया। इस पद पर वह करीब 3 साल रहे। मदन लाल के कार्यकाल में भारत ने घर पर ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका को सभी फाॅर्मेट में करारी शिकस्त दी थी।
अंशुमान गायकवाड़
पूर्व भारतीय क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड़ का बतौर भारतीय कोच दो बार कार्यकाल रहा। पहले वह 1997 से 1999 तक टीम इंडिया के कोच रहे। फिर 2000 में वह कुछ समय के लिए कोच बने थे जब कपिल देव ने रिजाइन कर दिया था। गायकवाड़ के कार्यकाल में भारतीय क्रिकेट टीम ने कई कीर्तिमान स्थापित किए। भारत ने जहां इंडिपेंडेंस कप जीता वहीं घर पर ऑस्ट्रेलियों के खिलाफ 2-1 से सीरीज अपने नाम की। यही नहीं पाकिस्तान के खिलाफ अनिल कुंबले ने 10 विकेट गायकवाड़ के कार्यकाल के दौरान ही लिए थे।
कपिल देव
भारत को पहला वर्ल्डकप दिलाने वाले पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव भी टीम इंडिया के कोच रहे हैं। कपिल ने 1999-2000 के बीच कोच पद की जिम्मेदारी निभाई। इस दौरान वह काफी विवादों में रहे। उस वक्त टीम इंडिया के कप्तान सचिन तेंदुलकर थे। सचिन और कपिल के बीच अच्छी बाॅन्डिंग नहीं हो पाई थी। सचिन ने अपनी किताब 'प्लेइंग इट मॉय वे' में कपिल के साथ अपनी नाराजगी का जिक्र किया था। कोच बनने के बाद कपिल देव अपने खिलाड़ियों को कुछ अलग तरह से प्रैक्टिस कराया करते थे। यह बात सचिन को पसंद नहीं आई। उन्होंने कपिल की कोचिंग मैथेड पर सवाल खड़े किए थे। हालांकि यह विवाद साल 2000 में खत्म हो गया, जब कपिल ने कोच और सचिन ने कप्तानी से त्यागपत्र दे दिया।
जाॅन राइट
पूर्व कीवी क्रिकेटर जाॅन राइट भारत के पहले विदेशी कोच थे। जाॅन राइट ने साल 2000 में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच का पद संभाला था और पांच साल तक इस पोजीशन पर रहे। जाॅन राइट की गिनती टीम इंडिया के बेहतरीन कोच में होती है। इनके कार्यकाल में भारत ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में सफलता पाई। यही नहीं 2003 वर्ल्डकप में टीम इंडिया फाइनल तक पहुंची थी।
ग्रेग चैपल
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ग्रेग चैपल भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे विवादित कोच माने जाते हैं। कोच रहते हुए चैपल का कप्तान सौरव गांगुली से काफी मनमुटाव हुआ था। दोनों ही अपने समय के बेहतर खिलाड़ी रहे, लेकिन जब ड्रेसिंग रूम शेयर करने की बात आई, तो गांगुली-चैपल के बीच कभी पटरी नहीं खाई। साल 2005 की बात है, भारतीय टीम जिंबाब्वे दौरे पर गई थी। पहला टेस्ट खेला जाना था, कि उससे ठीक एक दिन पहले कप्तान सौरव गांगुली ने कोच ग्रेग चैपल से पूछा कि, युवराज और कैफ में किसको टीम में खिलाया जाए। चैपल ने कहा कि दोनो खेलेंगे और तुम बाहर रहोगे। चैपल की यह बात सुन गांगुली काफी हैरान रह गए थे। उन्होंने सीरीज छोड़ने का मन बना लिया था। तभी चैपल ने बीसीसीआई को एक लेटर भेजा कि, गांगुली कप्तानी के लिए न ही शारीरिक और न मानसिक रूप से फिट है। यह लेटर मीडिया में लीक होते ही काफी बवाल हुआ।
गैरी कर्स्टन
दक्षिण अफ्रीका के महान बल्लेबाज गैरी कर्स्टन भारतीय टीम के सबसे सफलतम कोच में शुमार रहे हैं। गैरी कर्स्टन ने भारतीय क्रिकेट टीम के साथ पांच साल कोच के तौर पर बिताएं। गैरी कर्स्टन साल 2007 से 2011 तक भारतीय टीम के कोच के पद पर रहे। यही नहीं कर्स्टन ने 2011 वर्ल्डकप में भारत को चैंपियन भी बनवाया। हालांकि इसके बाद उनका कार्यकाल खत्म हो गया और वह अपने वतन वापस लौट गए।
डंकन फ्लेचर
क्रिकेट से रिटायर होने के बाद डंकन फ्लेचर ने अगली पारी कोच के रूप में शुरु की। उन्हें 2011 वर्ल्ड कप के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का कोच बनाया गया। चार साल के कोचिंग करियर में उन्होंने टीम इंडिया को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। साल 2013 में टीम इंडिया ने फ्लेचर के ही कार्यकाल में लगातार 8 सीरीज जीती थी जिसमें चैंपियंस ट्रॉफी भी शामिल है। साल 2015 में जब फ्लेचर का बतौर भारतीय कोच कार्यकाल समाप्त हुआ तो उन्हें दोबारा मौका नहीं मिला। उनकी जगह फिर अनिल कुंबले टीम इंडिया के नए कोच बने।
अनिल कुंबले
साल 2016 में भारत के सबसे सफल गेंदबाज अनिल कुंबले को टीम इंडिया का कोच नियुक्त किया गया था। कुंबले का कार्यकाल एक साल के लिए था मगर वह काफी विवादों में रहा। कोहली और कुंबले के विवाद ने भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को हैरत में डाल दिया था। इस जोड़ी ने साथ मिलकर काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया था। मगर भारत के सबसे सफल भारतीय कोच अनिल कुंबले अपने कप्तान के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए। बताया जाता है कि विराट कोहली के साथ-साथ टीम इंडिया के कई सीनियर खिलाड़ी कोच अनिल कुबंले से खुश नहीं थे। कुंबले टीम में ज्यादा रौब जमाने लगे हैं और कुंबले के इसी रवैये को लेकर खिलाड़ियों ने बीसीसीआई अधिकारियों से कुंबले की शिकायत भी की थी। खैर आखिर में कुंबले ने कोच पद से इस्तीफा दे दिया था।
रवि शास्त्री
पूर्व भारतीय क्रिकेटर रवि शास्त्री को साल 2017 में अनिल कुंबले की जगह टीम इंडिया का कोच बनाया गया था। पिछले दो सालों में रवि शास्त्री की कोचिंग में भारत ने कई ऐतिहासिक मैच जीते तो वहीं वर्ल्डकप सेमीफाइनल में हार भी झेली। भारतीय टीम के पूर्व ऑलाराउंड खिलाड़ी रवि शास्त्री भारत की 1983 विश्व विजेता टीम के सदस्य रह चुके हैं। रवि शास्त्री को साल 2015 से 2016 के बीच बीसीसीआई ने भारतीय टीम के डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किया था।
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