प्लांट के गेट पर सील लगा दी गई
चेन्नई / तूतीकोरिन (पीटीआई)। तमिलनाडु के कई दिनों से वेदांता ग्रुप के कॉपर प्लांट स्टरलाइट को बंद कराने को लेकर बिगड़े हालात अब पटरी पर आने की उम्मीद है। कल फाइनली तमिलनाडु सरकार ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि वह तूतीकोरिन में प्लांट स्टरलाइट को हमेशा के लिए सील कर दे। इसके बाद प्रशासन ने सरकार के आदेश पर प्लांट के गेट पर सील लगा दी। इस संबंध में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने बताया कि यह फैसला लोगों के हित में और राज्य की शांति व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
लंबे समय से बंद कराने की मांग
यह कार्रवाई 1974 के वाटर एक्ट अनुच्छेद 48-ए के तहत की गई है।इसके साथ ही उन्होंने यह भी कि कहा कि राज्य में काफी दिनों से से चल रहा था लेकिन विपक्ष की इसे हिंसक रूप देने में खास भूमिका रही। तूतीकोरिन में बीती 22 व 23 मई को हुई हिंसा के दौरान पुलिस की गोली से 13 लोग मारे गए थे।इस दौरान बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए थे। वहीं उप मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम अस्पताल जाकर घायलों व उनके परिजनों से मुलाकात की। इस संबंध में पन्नीरसेल्वम का कहना है कि प्लांट को बंद करने की प्रक्रिया 2013 से चल रही है।
मुआवजा भी बढ़ाने की मांग की
राज्य सरकार की कार्रवाई पर एनजीटी ने कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया था।इसके बाद सरकार ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तूतीकोरिन मामले की त्वरित सुनवाई से इन्कार कर दिया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव व एमएम शांतनागोदार की बेंच ने याचिकाकर्ता पी शिव कुमार से कहा कि वह जुलाई में फिर से अपील करें। इससे पहले अधिवक्ता जी एस मनी ने भी इस मामले में याचिका दाखिल की है।उन्होंने मामले की जांच सीबीआई से कराने के साथ ही मृतकों को दिए जाने वाला मुआवजा भी बढ़ाने की मांग की है।
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