अफगानिस्तान की हेल्प के लिए भेजे गए अमेरिकी पैसों पर तालिबान फलता-फूलता रहा. करीब एक साल तक चली अमेरिकन आर्मी की इनवेस्टिगेशन में इस बात के पुख्ता सुबुत मिले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने अफगानिस्तान में बिजनेस प्रमोशन और वहां तैनात आर्मी को रसद पहुंचाने के लिए 2.16 बिलियन डॉलर (9720 करोड़ रुपए) का ट्रांसपोर्ट कांट्रैक्ट किया था, लेकिन बड़ा हिस्सा तालिबान के पास पहुंचा. ट्रक कंपनीज ने पैसा अफगानिस्तान के नेशनल पुलिस कमिश्नर के अकाउंट में जमा करवाया. वहां से यह तालिबान तक पहुंचा.
इस मामले में अमेरिकी कांग्रेस, फेडरल एजेंसीज द्वारा की गई इनवेस्टिगेशन में भी इसके संकेत दिए गए थे, लेकिन अब इसकी पूरी तरह से पुष्टि हो गई है. हालांकि इसके बाद भी आठों ट्रांसपोर्ट कंपनीज अभी भी अमेरिका के पे-रोल पर हैं. मार्च में पेंटागन ने कांट्रैक्ट 6 माह के लिए और बढ़ा दिया है. आर्मी की इनवेस्टिगेशन में कहा गया है कि उनके पास इस बात के ठोस सुबूत हैं कि ये ट्रांसपोर्ट कंपनीज न केवल ज्यादा रकम वसूल रही हैं, बल्कि एक बड़ा हिस्सा तालिबान के पास पहुंचा है. इसके अलावा सत्ता के दलालों, गवर्नमेंट ऑफिसर्स और पुलिस को भी बड़ा हिस्सा दिया गया है.
करता है उगाही
रिपब्लिकन जॉन एफ टिर्ने ने कहा कि अमेरिकन आर्मी एक सुनियोजित तरीके से चल रहे रैकेट को रकम दे रही है, जो तालिबान, दलालों और करप्ट लोगों को मदद का बड़ा हिस्सा पहुंचा रहे हैं. अफगानिस्तान में तैनात नाटो फोर्सेज और खुद के जवानों के लिए दी गई रसद और दूसरी मदद, सुरक्षित तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचे, इसके लिए तालिबान रकम उगाही करता है.
बड़ा खेल
सेना की जांच में इस तरह के कई एग्जांपल मिले हैं. अमेरिका ने एक ट्रांसपोर्ट कंपनी को 7.4 मिलियन डॉलर (33.30 करोड़ रुपए) का पेमेंट एडवांस में किया. कंपनी ने एक सब-कांट्रैक्टर को कांट्रैक्ट दिया और उसने फिर एक तीसरी कंपनी को कांट्रैक्ट दिया . इस कंपनी ने अफगानिस्तान के नेशनल पुलिस कमिश्नर के अकाउंट में पैसा जमा करवाया. उस अकाउंट मेंं कांट्रैक्टर लगातार धन जमा करवाते हैं. आर्मी की इंटेलीजेंस यूनिट ने 14.85 करोड़ रुपए जो कि कमिश्नर के अकाउंट से 27 बार में निकाले गए थे, का पता लगाया और तब खुलासा हुआ कि यह पैसा टेररिस्ट्स के पास वेपंस, एक्सप्लोसिव्स और कैश के रूप में पहुंचा. अब अमेरिका ट्रांसपोर्ट संबंधी मदद देने के लिए नए रूल्स बना रहा है.
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