पाकिस्तानी तालिबान के एक वरिष्ठ नेता ने मलाला यूसुफ़ज़ई को चिट्ठी लिखकर उन्हें पिछले साल अक्तूबर में गोली मारे जाने को 'चौंकाने वाली' घटना बताया है.
मलाला को सिर में गोली लगी थी और इसके लिए दुनिया भर में तालिबान की काफ़ी आलोचना हुई थी.
मलाला को ये चिट्ठी लिखने वाले नेता हैं अदनान रशीद. उन्होंने इस चिट्ठी में माफ़ी तो नहीं माँगी है मगर ये ज़रूर लिखा है कि 'काश ये हमला कभी नहीं हुआ होता'.
मगर ये चिट्ठी तालिबान की ओर से नहीं लिखी गई है बल्कि रशीद ने ये व्यक्तिगत तौर पर लिखी है.
मलाला के परिवार का कहना है कि उन्हें चिट्ठी के बारे में पता है मगर वह उस पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहते.
क्यों मारी गोली
उन्होंने कहा कि मलाला को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह तालिबान के ख़िलाफ़ अभियान चला रही थीं इसलिए नहीं क्योंकि वह स्कूल जा रही थीं या लड़कियों को पढ़ाई के हक़ की वकालत कर रही थीं.
मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार देने के लिए अभियान चलाया जा रहा है और पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा की ओर ध्यान खींचने का श्रेय उन्हें दिया जाता है.
बीते शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए मलाला ने कहा था कि किताबों और कलम से चरमपंथी डरते हैं. उन्होंने सभी के लिए शिक्षा की अपील करते हुए कहा था कि 'उसमें तालिबान और सभी चरमपंथियों के बेटे और बेटियाँ भी शामिल होने चाहिए'.
'इस्लामी मदरसे में भर्ती हों'
रशीद ने कहा कि मलाला के लिए उनके मन में भाई जैसी भावनाएँ हैं क्योंकि वह ख़ुद भी 'उसी यूसुफ़ज़ई समूह' के हैं.
तालिबान नेता ने कहा कि वह ये बात अल्लाह पर छोड़ते हैं कि ये हमला सही था या ग़लत.
लंबे पत्र में उन्होंने मलाला को ये भी सलाह दी है कि वह घर वापस लौट आएँ.
रशीद ने लिखा है, "घर वापस लौट आएँ, इस्लामी और पश्तून संस्कृति अपनाएँ और लड़कियों के किसी मदरसे में भर्ती होकर कलम का इस्तेमाल इस्लाम के लिए करें."
हमले के बाद मलाला को इलाज के लिए पाकिस्तान से ब्रिटेन ले जाया गया था और अब वह बर्मिंघम में रहती हैं.
चरमपंथी नेता का कहना है कि वह पहले भी मलाला को चेतावनी देना चाहते थे कि वह तालिबान विरोधी गतिविधियाँ रोक दें मगर उस समय वह जेल में थे और मलाला का पता भी नहीं ढूँढ़ पाए.
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