1- भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे मंसूर अली खान पटौदी खानदानी रईस थे। पटौदी 150 कमरों वाले बंगले में रहते थे। जिसमें कि 100 नौकर थे। बताया जाता है कि पटौदी जब छोटे थे तो 8-10 नौकर सिर्फ उनकी देख-रेख किया करते थे।
2- नवाब पटौदी को टाइगर के नाम से भी जाना जाता था। बताते हैं कि वह चीते की तरह फील्डिंग किया करते थे इसलिए उनके साथी क्रिकेटर्स ने उन्हें टाइगर नाम दिया। मंसूर अली खान पटौदी के पिता इफ्तिखार अली खान 1930 के दशक में इंग्लैंड के लिए मैच खेला करते थे।
3- क्रिकेट जगत में ऐसा बहुत कम देखा गया है कि पिता से ज्यादा बेटा क्रिकेट में नाम कमाए। नवाब पटौदी के पिता इफ्तिकार अली खान इंग्लैंड की तरफ से क्रिकेट खेला करते थे। लेकिन नवाब ने भारतीय टीम में जगह पाई और पिता से ज्यादा नाम कमाया।
4- सबसे कम उम्र में भारतीय टेस्ट कप्तान बनने का रिकॉर्ड नवाब पटौदी के नाम है। पटौदी को जब कप्तानी मिली थी उस समय उनकी उम्र 21 साल 77 दिन थी। कम उम्र में ही उन्होने कई कमाल कर डाले थे। मंसूर अली खान पटौदी ने बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मीला टैगोर से शादी की थी।
5- साल 1961 में नवाब पटौदी की कार एक्सीडेंट के दौरान उनकी दाहिनी आंख की रोशनी चली गई थी। इसके बावजूद पटौदी ने हिम्मत नहीं हारी। हादसे के छह महीने बाद पटौदी भारतीय टीम में शामिल हुए और इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया।
6- साल 1967 में नवाब पटौदी की कप्तानी में भारत को विदेशी धरती पर पहली जीत मिली थी। भारत ने यह मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ जीता था। तो अब तो आप को पता लग गया ना कि तैमूर के बाबा ने ही भारत को विदेशी धरती पर जीत दिलाई थी।
7- पटौदी रियासत के नवाब मंसूर अली खान पटौदी को सिर्फ क्रिकेटर कहना गलत होगा। वह ऑक्सफोर्ड की तरफ से हॉकी और बिलियर्ड्स भी खेल चुके हैं। इसके साथ ही पटौदी फुटबॉल खेलने में भी माहिर थे। उन्हे हर फन में महारत हासिल थी।
8- क्रिकेट जगत में अपनी बादशाहत जमाने वाले पटौदी का राजनीतिक करियर काफी खराब रहा। साल 1991 में कांग्रेस की तरफ से पटौदी ने चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। सितंबर 2011 को 75 वर्ष की आयु में पटौदी ने दुनिया को अलविदा कहा।
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