सूत्रों ने बीबीसी को बताया है कि रासायनिक हथियारों को नष्ट करने के लिए जहाज़ पर एक मोबाइल विध्वंस केंद्र की स्थापना की जाएगी, जो पानी के प्रयोग से रसायनों को सुरक्षित स्तर तक लाता है.
द आर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ़ केमिकल वेपंस (ओपीसीडब्लू) ने रासायनिक हथियारों को नष्ट करने के लिए 31 दिसंबर की समय सीमा तय की है.
हालाँकि अभी तक बहुत से देश इस कार्य को करने में झिझक रहे थे.
अल्बानिया और अन्य देशों को लेकर ऐसी चर्चा थी कि वहाँ रासायनिक हथियारों को अंतिम रूप से नष्ट करने के लिए ले जाया जा सकता है, लेकिन इन देशों ने ज़ोर देकर कहा कि वो इसे स्वीकार नहीं करेंगे.
जबकि इस बात पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सहमति है कि रासायनिक हथियारों को निपटाना फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती है.
ज़हरीले रसायन
एमवी केप रे जहाज़ पर रासायनिक हथियारों को जलीय अभिक्रिया (हाइड्रोलिसिस) से कम हानिकारक बनाया जाता है. इस प्रक्रिया में करीब 77 लाख लीटर का मिश्रित द्रव्य पैदा होगा. ओपीसीडब्लू के मुताबिक़ इस द्रव्य को 4,000 कंटेनरों में इकट्ठा कर लिया जाएगा.
जल अभिक्रिया के बाद मिला रसायन कई उद्योगों से निकलने वाले रसायनों के समान ही होगा. इस कम विषाक्त रसायन की खेप को कौन ले जाएगा इसके लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने की समय सीमा शुक्रवार है.
समस्या केवल इन हथियारों के निपटारे की नहीं है. कोई भी इन रासायनिक हथियारों को सीरिया से बाहर ले जाने की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. सीरिया में लगातार तीसरे साल गृहयुद्ध जारी है. इसलिए अब यह काम सीरिया की सेना को ख़ुद करना होगा.
ऐसा माना जाता है सीरिया में मौजूद कुल रसायनों में 30 टन ऐसे रसायन हैं जिनको मिलाकर ख़तरनाक और घातक रसायन बनाए जा सकते हैं.
सीरिया की सेना ने इन रसायनों को अपने प्रभाव वाले इलाकों में इकट्ठा कर रखा है. इनकी कुल मात्रा 600 टन से भी ज़्यादा है. इसके अलावा सेना ने 30 टन ज़हरीली गैस भी एकत्रित की है.
इस जखीरे में तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाने वाली सरीन और वीएक्स जैसी गैसों के न होने से इस साल का नोबल शांति पुरस्कार जीतने वाली ओपीसीडब्लू का काम थोड़ा आसान हो गया है.
फौरी चुनौती
फिलहाल ओपीसीडब्लू रासायनिक हथियारों को पैक करने के लिए ज़रूरी सामग्री और कंटेनर लेबनान से सीरिया पहुँचा रहा है. माना जा रहा है कि कुछ ही हफ्तों में सीरिया की सेना इस सामग्री को गाड़ियों में लादकर भूमध्य सागर के तट तक पहुंचाना शुरू करेगी.
अब भी कुछ मसले साफ़ नहीं है क्योंकि ओपीसीडब्लू और अमरीका की नौसेना ने अपनी-अपनी योजना बना रखी हैं. क्या केप रे जहाज़ सचमुच लताकिया और तारतस तक डिब्बों को लेने के लिए आएगा?
बहुत से लोगों का मानना है विषाक्त खेप को सीरिया की जलसीमा से बाहर ले जाने के लिए ऐसे छोटे जहाज़ों की जरूरत पड़ सकती है जिन पर अमरीकी झंडे न लगे हों.
इसके अलावा यह सवाल भी है कि अगर रसायन लदे किसी जहाज पर हमला होता है या जल सीमा से बाहर निकलने के पहले विषाक्त खेप विद्रोहियों द्वारा कब्जे में ले ली जाती है तो क्या होगा?
अगर सब कुछ ठीक-ठीक योजना के मुताबिक़ हो तब भी क्या 77 लाख लीटर मिश्रित द्रव को आसानी से तट पर लाना संभव होगा.
अब तक ओपीसीडब्लू की अंतरराष्ट्रीय टीम ने सीरिया के रासायनिक हथियारों को नष्ट करने के लिए हुए समझौते की समय सारणी के मुताबिक़ तेज़ी से काम किया है. लेकिन इसका अगला चरण निश्चित रूप से जोखिम भरा होगा.
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