संयुक्त राष्ट्र की रासायनिक हथियार निरीक्षक टीम सोमवार से अपना काम शुरु करेगी. कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीरिया की सेना ने राजधानी के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में रासायनिक हमला किया था जिसमें 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.
इससे पहले एक अमरीकी अधिकारी ने दमिश्क में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल होने का आरोप लगाया था. इस अधिकारी ने भी कहा था कि जांच में देरी का मतलब है कि सबूतों को कम करने के लिए समय देना है. हालांकि सीरिया ने इस रायायनिक हमले के लिए 'आंतकवादियों' पर इल्जाम लगाया था.
सरकारी मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार विद्रोही लड़ाकूओं ने जिन रासायनों को इस्तेमाल किया था वे सुंरग में पाए गए हैं और इसके प्रभाव से फौज का 'दम घुटने लगा था.' "सरकारी मीडिया के अनुसार उपनगर जोबार में सरकारी सेना को मिली कामयाबी के बाद ''ये विद्रोही लड़ाकूओं का आखिरी हथियार था.''
इससे पहले विद्रोही गुटों ने आरोप लगाया था कि 21 अगस्त को दमिश्क के पास के एक इलाक़े में ज़हरीली गैसों से रासायनिक हमला किया गया था.
वक्तव्य
सरकारी मीडिया पर विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए बयान को प्रसारित किया गया है जिसमें कहा गया है कि रविवार को संयुक्त राष्ट्र के निशस्त्रीकरण अभियान की प्रमुख एंगेला केन से हुई चर्चा के बाद ये सहमति बनी है कि संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों को दमिश्क में कथित रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की जांच करने की अनुमति दे दी गई है.
इस वक्तव्य में कहा गया है कि इस सहमति के बाद से ही ये जांच शुरु हो जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून के प्रवक्ता ने बाद में ये घोषणा की है कि ये ''जांचकर्ता घटनास्थल पर जाकर तथ्यों की जांच करने की तैयारी कर रहे हैं.'' वक्तव्य में कहा गया है कि प्रभावित इलाकों में संघर्ष-विराम लागू रहेगा.
सीरिया के प्रमुख सहयोगी रुस ने संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं को जांच की अनुमति देने का स्वागत किया है लेकिन पश्चिमी मुल्कों को चेताया कि वो नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश न करें.
रुस के विदेश मंत्रालय का कहना है, ''हम उन लोगों से अपील करते हैं जो संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों पर अपने नतीज़ों को थोपनें की कोशिश कर रहे हैं, ऐसा करके वे सीरिया में सैन्य अभियान की संभावनाओं को बढ़ा रहे है.''
जहरीली गैस
शनिवार को चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था मेडसां सॉं फ्रांटिये या एमएसएफ ने कहा था कि सीरिया में तक़रीबन 3600 मरीज़ों का ‘स्नायुतंत्र को विषाक्त करने वाली ज़हरीली गैसों’ के लिए इलाज किया गया जिनमें से 355 लोगों की मौत हो गई है.
हालांकि एमएसएफ ने कहा था कि वो वैज्ञानिक तौर इस बात की पुष्टि नहीं कर सकती है कि रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ है लेकिन अस्पताल के स्टॉफ का कहना था कि तीन घंटे से भी कम समय में ऐसे मरीज आए हैं जिनमें ऐंठन, आंखों की पुतलियां का घूमना और सांस लेने में तकलीफ होने के लक्षण पाए गए थे.
शनिवार को ही ब्रिटेन और अमरीका ने कहा था कि अगर इस बात की पुष्टि होती जाती है कि सीरिया में पिछले हफ़्ते आम लोगों के ख़िलाफ़ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया तो उसे इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे.
यह बयान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री आवास डाउनिंग स्ट्रीट की ओर से जारी किया गया था.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फोन पर क़रीब 40 मिनट तक बात की थी और दोनों ने सीरियाई सरकार द्वारा जनता के ख़िलाफ़ रासायनिक हथियारों से हमले करने के मिल रहे संकेतों पर गहरी चिंता जताई थी.
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