कुछ अनसुलझे पहलू
लंदन की एक यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने अपनी एक ऐसी रिपोर्ट बनाई है, जिसे सुनकर आपको यकीन नहीं होगा. इस स्टडी में कई चौंकाने वाले खुलासे किये गये हैं. रिपोर्ट का कहना है कि स्विटजरलैंड में जहां एक ओर लोग इसे खूबसूरती का जन्नत मानते हैं तो दूसरी ओर यहां पर सबसे अधिक सुसाइड भी होते हैं. इनमें सबसे अहम बात यह है कि कुछ ऑर्गेनाइजेशन लोगों को सुसाइड कराने में हेल्प करते हैं. स्विटजरलैंड में 'मृत्यु का अधिकार' के लिये 4 संगठन काम कर रहे हैं, जिनमें से दो विदेशियों को भी सुसाइड करने में हेल्प करते हैं, जिसे कथित तौर पर 'सुसाइड टूरिज्म' की संज्ञा दी जा रही है. आपको बता दें कि इन वादियों में सुसाइड के लिये 'सुसाइड टूरिज्म' की संख्या पिछले 4 सालों में दोगुनी हो गई है.
सुसाइड को मिल रहा बढ़ावा
गौरतलब है कि यहां सुसाइड करने वाले ज्यादातर लोग जर्मनी और ब्रिटेन के हैं. मस्तिष्क की गंभीर बीमारियों जैसे पर्किंसन और मल्टिपल स्कलेरोसिस से पीडि़त होने के कारण ऐसे लोग सुसाइड का फैसला लेते हैं. रिपोर्ट का कहना है कि मौत की नींद सुलाने के लिये ज्यादातर मामलों में 'सोडियम पेंटोबार्बिटल' का इस्तेमाल किया जाता है. ज्यूरिक यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ ऐक्सिलेंस फॉर मेडिसिन, एथिक्स एंड लॉ के रिसर्चर जूलियन माउसबैक ने कहा कि ,'स्विटजरलैंड में सुसाइड करने वाले सहायक संगठनों के कारण ही शायद यहां सुसाइड के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.'
क्या कहते हैं आंकड़े
रिसर्च में यह बात सामने आई है कि साल 2008-12 के बीच 611 विदेशियों ने यहां सहायकों की मदद से सुसाइड की. इसके अलावा यहां सुसाइड करने वाले टूरिस्टों की उम्र 23-97 साल के बीच थी. हालांकि इनमें आधे टूरिस्ट (58.5 परसेंट ) महिलायें थीं. स्विटजरलैंड में 2008-12 के बीच संगठनों की सहायता से सुसाइड करने वाले टूरिस्टों में जर्मन के 268 जबकि ब्रिटेन के 126 लोग थे, जो कि सुसाइड करने वाले लोगों की कुल संख्या का दो तिहाई है. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि स्विटजरलैंड की सबसे बड़ी सुसाइड टूरिज्म कंपनी 'डिग्निटास' सुसाइड के लगभग सभी मामलों में शामिल थी. रिसर्चरों ने ज्यूरिख में पाया कि 2008 में सुसाइड टूरिज्म के तहत सुसाइड करने वाले लोगों की संख्या 123 थी, जो 2012 में बढ़कर 172 हो गई. आपको बता दें कि स्विटजरलैंड में सहायकों की मदद से सुसाइड करने की परमीशन है, जब तक स्वार्थवश इसके लिये प्रेरित न किया जाये.
Hindi News from Bizarre News Desk