लगेंगे 4 शोधन संयंत्र
खास बात यह है कि इसमें बिजली का इस्तेमाल नहीं होगा. यूरोपीय संघ के सहयोग से चार शोधन संयंत्र लगाए जा रहे हैं. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में सेफगार्डिंग वाटर रिसोर्सेस इन इंडिया विद ग्रीन एंड सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी (स्विंग्स) नाम से संयंत्र तैयार किया जा रहा है. आस्ट्रिया के डिजाइन एक्सपर्ट इसे मूर्त रूप देने में लगे हैं. इस नई तकनीक ने रफ्तार पकड़ी तो सीवरेज ट्रीटमेंट की समस्या दूर होने के साथ ही नदियों का 'कल्याण'हो जाएगा.
पौधे शुद्ध करेंगे सीवर का पानी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लग रहे संयंत्र को 'एएमयू इको टेक्नोलॉजी पार्क'नाम दिया है. यहां बरौला बाइपास स्थित अंबेडकर हॉल के सामने बन रहे संयंत्र पर 2.56 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 1970 में एएमयू का लगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट यहीं है. एएमयू संयंत्र सितंबर तक तैयार हो जाएगा. संयंत्र के दो हिस्से होंगे. एक, एनएरोबिक डाइजेशन का होगा. इसके लिए बड़ा टैंक बनाया जा रहा है, जिसमें गंदे पानी को डाला जाएगा. दूसरा हिस्सा कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड्स का होगा. इसमें दो क्यारियां होंगी, जिनमें टाइफा (ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड की घास), फ्रैगमाइटिस (ऑस्ट्रेलियाई घास) आदि प्रजातियों के पौधे रोपे जाएंगे. ये पौधे अलीगढ़ में भी उपलब्ध हैं. यही पौधे गंदगी को खा जाएंगे और शुद्ध पानी का प्रयोग सिंचाई, मछली पालन आदि में होगा.
चार संयंत्रों पर 17 करोड़ खर्च होंगे
इस समय देश के सभी सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बिजली से संचालित होते हैं. लेकिन, यूरोपीय देशों में बगैर बिजली सीवर-डे्रनेज वाटर का शुद्धिकरण होता है. भारत में इस तकनीक के लिए केंद्र सरकार और यूरोपीय संघ में करार हो चुका है. देश के चार स्थानों पर संयंत्र लगाए जा रहे हैं. इसमें कुल 17 करोड़ खर्च होंगे. एक प्लांट एएमयू में लग रहा है, बाकी आइआइटी दिल्ली, कल्याणी यूनिवर्सिटी नादिया (कोलकाता) व इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक (मध्य प्रदेश) में लगेंगे.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ऑस्ट्रिया से एएमयू में संयंत्र लगाने आए डिजाइन एक्सपर्ट क्रिश्चियन देशट के अनुसार एडवांस तकनीक पर काम करने वाले इन संयंत्रों से भारत में नए युग की शुरुआत होगी. एएमयू सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. नदीम खलील ने बताया कि बिजली संकट को देखते हुए केंद्र सरकार देशभर में ऐसे संयंत्र लगाना चाहती है.
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