अबू धाबी (पीटीआई)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अबू धाबी में आर्गेनाईजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शुक्रवार को भाग लिया। यहां उन्होंने जोरदार तरीके से आतंकवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद और उग्रवाद अलग-अलग चीजें हैं। इन चींजों का इस्तेमाल विविध कारणों के लिए किया जाता है। लेकिन दोनों मामलों में धर्म को आगे लाया जाता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी भी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है।' स्वराज ने अपने संबोधन के दौरान पवित्र कुरान से एक कविता पढ़ी, जिसमें लिखा था कि 'ला इकहरा फिद्दीन', इसका मतलब कि धर्म में कोई बाध्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस्लाम का शाब्दिक अर्थ है शांति और अल्लाह के 99 नामों में से कोई भी हिंसा का मतलब नहीं है। उसी तरह, दुनिया में हर धर्म शांति, करुणा और भाईचारे के लिए खड़ा होता है।'
पहली बार शामिल हुआ भारत
स्वराज शुक्रवार को दो दिवसीय बैठक के उद्घाटन समारोह में शामिल हुईं। यह पहली बार है कि भारत को ओआईसी की एक बैठक में आमंत्रित किया गया है। भारत और पाकिस्तान के बीच बढे तनाव के दौरान ही ओआईसी की बैठक में भारत को बुलाया गया। बता दें कि मंगलवार की सुबह भारतीय वायुसेना ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर हमला कर दिया। पाकिस्तान ने बुधवार को जवाबी हवाई हमला करने की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहा।
प्रमुख अर्थव्यवस्था में से एक भारत
मंत्री ने कहा, 'मैं अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी और 1.3 बिलियन भारतीयों का अभिवादन करती हूं, जिसमें 185 मिलियन से अधिक मुस्लिम भाई-बहन शामिल हैं। हमारे मुस्लिम भाई-बहन भारत की विविधता का एक अहम रूप हैं।' उन्होंने अपने लगभग 17 मिनट के भाषण के दौरान, पाकिस्तान का नाम नहीं लिया। स्वराज ने कहा कि वह एक ऐसे भूमि का प्रतिनिधि हैं, जो सदियों से ज्ञान का एक भंडार, शांति का पुंज, विश्वासों और परंपराओं का स्रोत है और दुनिया में सभी धर्मों का एक घर होने के साथ अब, विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।'
अबू धाबी पहुंची सुषमा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, 'विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ओआईसी की बैठक में शामिल होने के लिए अबू धाबी पहुँच गई है। भारत को यूएई के विदेश मंत्री एचएच शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने आमंत्रित किया है।' पाकिस्तान में भारत के हवाई हमलों के बाद पाक ने स्वराज को इस मीटिंग में शामिल होने से रोकने की पूरी कोशिश की थी लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाया। बता दें कि पाकिस्तान भी ओआईसी का एक सदस्य है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि अगर स्वराज इस बैठक में आएंगी तो वह इसमें शामिल नहीं होंगे। ओआईसी ने 1969 में मोरक्को में आयोजित सम्मेलन में पाकिस्तान के कहने पर भारत को शामिल करने के इनकार कर दिया था। ओआईसी आमतौर पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है और अक्सर कश्मीर मुद्दे पर इस्लामाबाद के साथ पक्ष रखता है।
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