नई दिल्ली (आईएएनएस)। Karnataka Hijab Row : सुप्रीम कोर्ट बुधवार को स्टूडेंट्स के एक ग्रुप द्वारा कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में एनुअल एग्जाम के दाैरान सिर पर दुपट्टा यानी कि 'हिजाब' पहनकर शामिल होने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया। स्टूडेंट की ओर से पेश अधिवक्ता शादान फरासत ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को बताया कि उन्हें 9 मार्च से सरकारी कॉलेजों में शुरू होने वाली वार्षिक परीक्षाओं में शामिल होना है। पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने वकील से पूछा, "उन्हें परीक्षा देने से क्यों रोका जा रहा है?" वकील ने हेडस्कार्फ के कारण जवाब दिया और आगे कहा कि स्टूडेंट को पहले ही एक साल का नुकसान हो चुका है और अगर कोई राहत नहीं दी गई, तो उन्हें एक और साल का नुकसान होगा। इस पर पीठ ने कहा कि लिस्टिंग के लिए याचिका की जांच की जाएगी।
'हिजाब' के साथ परीक्षा में बैठने की अनुमति चाहते हैं स्टूडेंट
सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि स्टूडेंट सिर्फ अपने 'हिजाब' के साथ परीक्षा में बैठने की अनुमति चाहते हैं और ये सभी स्टूडेंट पहले ही निजी कॉलेजों में स्थानांतरित हो गए हैं, लेकिन उन्हें परीक्षाओं में शामिल होने के लिए सरकारी कॉलेजों में जाना होगा। वकील ने अदालत से सुनवाई के लिए अंतरिम आवेदन तय करने के लिए कहा। 23 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों की कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित करने की याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में कर्नाटक में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों की कक्षाओं में कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब पर प्रतिबंध की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित फैसला दिया था। खंडित फैसला जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने दिया।
कर्नाटक हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपीलों को खारिज कर दिया
जस्टिस हेमंत गुप्ता, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ने कर्नाटक सरकार के सर्कुलर को बरकरार रखा और कर्नाटक हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपीलों को खारिज कर दिया। हालांकि जस्टिस धूलिया ने प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों की कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के कर्नाटक सरकार के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि संविधान भी भरोसे का दस्तावेज है और अल्पसंख्यकों ने बहुमत पर भरोसा जताया है। पीठ ने कहा था कि चूंकि विचारों में भिन्नता है, इसलिए इस मामले को बड़ी पीठ गठित करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा।
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