रद हुई धारा 66-A

सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े इस विवादास्पद कानून के दुरुपयोग की शिकायतों के बाद इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर और रोहिंटन एफ नरीमन की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इस धारा को रद कर दिया है. हालांकि अभी भी समाज में वैमन्य फैलाने वाले, मित्र देशों के खिलाफ टिप्पणीका करने, धर्म या संप्रदाय पर कोई आपत्ितजनक टिप्पणी करने वाले व्यक्ति पर केस किया जा सकेगा. जस्टिस जे चेलामेश्वर और रोहिंटन एफ नरीमन की पीठ अपना फैसला दिया.

केंद्र सरकार ने किया विरोध

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने इस प्रावधान को लागू रखने का तर्क देते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इंटरनेट का प्रभाव अधिक विस्तृत होता है. इसलिए टीवी या प्रिंट मीडियम की तुलना में इसे कंट्रोल करने की काफी आवश्कता है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान को सिर्फ गंभीर मामलों में यूज किया जाए. केंद्र सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया पर राजनीतिक मुद्दे पर बहस या किसी तरह के विरोध में कमेंट पर इस प्रावधान के तहत कारवाई नहीं की जा सकती. 2014 में केंद्र ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी कर कहा था कि ऐसे मामलों में बड़े पुलिस अफसरों की इजाजत के बिना कारवाई न की जाए.

बाल ठाकरे की मौत पर हुई थी जेल

वर्ष 2013 में महाराष्ट्र में शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे की मृत्यु पर उनके अंतिम संस्कार के तरीके पर प्रश्न उठाने वाली कानून की छात्रा श्रेया सिंघल को अरेस्ट कर लिया गया था. श्रेया के साथ एक अन्य छात्रा को भी अरेस्ट किया गया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

आजम खान पर कमेंट पर भी जेल

कुछ दिन पहले यूपी में मंत्री आजम खान पर पोस्ट करने वाले छात्र को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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