मालदीव में दूसरे प्रमुख उम्मीदवार अब्दुला यामीन ने अदालत से कहा था कि उन्हें तैयारी के लिए कुछ और वक़्त चाहिए. अदालत ने उनके निवेदन को स्वीकार कर लिया.
मालदीव में राष्ट्रमंडल देशों के विशेष दूत डॉन मैक्निन ने पहले कहा था कि चुनाव में किसी भी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
मोहम्मद नशीद ने सितंबर में हुए चुनाव में जीत हासिल की थी, लेकिन इस चुनाव को गड़बड़ी के आरोपों के चलते रद्द कर दिया था हालांकि पर्यवेक्षकों ने चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष ठहराया था.
50 फीसदी मत ज़रूरी
इससे पहले सात सितंबर को हुए मतदान में नशीद को 45 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि यामीन और गासिम 25 प्रतिशत और 24 प्रतिशत वोट पाकर पीछे रह गए थे.
राष्ट्रपति मोहम्मद वाहीद मानिक को महज़ पांच प्रतिशत वोट ही मिल सके. इसके बाद अदालत ने चुनावों के लिए नए दिशानिर्देश भी जारी किए.
मालदीव के संविधान के मुताबिक़ नए राष्ट्रपति को 11 नवंबर से पहले पदभार ग्रहण करना है क्योंकि मौजूदा राष्ट्रपति का कार्यकाल इसी दिन समाप्त हो रहा है.
मालदीव में पहली बार 2008 में लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव हुए थे, जिसमें नशीद को जीत मिली थी. उन्होंने मामून अब्दुल ग़यूम को अपदस्थ किया, जिनकी क़रीब तीन दशक से देश में तानाशाही थी.
राजनीतिक संकट
इससे पहले 2012 में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को विरोध के कारण अपना पद छोड़ना पड़ा था, जिसके बाद वहां राजनीतिक संकट पैदा हो गया था.
मोहम्मद नशीद की विरोधी मालदीव लोकतांत्रिक पार्टी के समर्थकों का आरोप है कि सरकार और न्यायपालिका चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें डर है कि इन प्रयासों से वो फिर सत्ता में आ सकते हैं.
मोहम्मद नशीद को सबसे कड़ी चुनौती ग़यूम के सौतेले भाई अब्दुल्ला यामीन से मिल रही है. इसके अलावा गासिम इब्राहीम भी कड़ी चुनौती दे रहे हैं. इब्राहीम ग़यूम के शासन में विदेश मंत्री रह चुके हैं.
International News inextlive from World News Desk