नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि देश की सुरक्षा के लिए राफेल लड़ाकू विमान की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने कहा कि इस लड़ाकू विमान के सौदे में पूरी प्रक्रिया का पालन हुआ है। फ्रांस सरकार के साथ भारत सरकार के इस सौदे में कोई शंका नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डालकर राफेल डील की जांच की मांग की गई थी।
फाइटर प्लेन की कीमत तय करना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं
जजों ने अपने फैसले में कहा कि लड़ाकू विमान की कीमत तय करना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को फ्रांस सरकार के साथ इस सौदे में क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 36 लड़ाकू विमानों के सौदे की प्रक्रिया में ऐसा कुछ नहीं है जो कोर्ट के हस्तक्षेप लायक हो।
ऑफसेट साझीदारी पर कोर्ट ने कहा पुख्ता सबूत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि देश की सुरक्षा के लिए चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत है। ऐसे में राफेल की जरूरत को समझा जा सकता है। ऑफसेट पार्टनर पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस मुद्दे को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
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