नई दिल्ली (एएनआई)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी की। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के सभी अस्पतालों और चिकित्सा प्रतिष्ठानों में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाओं और फिक्स्ड लैंडलाइन फोन सेवाओं को तत्काल बहाल करने के लिए जवाब मांगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और कश्मीर मुद्दे के संबंध में अन्य संबंधित दलीलों के साथ मामले को भी टैग किया।

इंटरनेट और टेलीफोन सेवा बहाली के लिए निर्देश जारी करने की अपील

बीते 11 सितंबर को अधिवक्ता सत्य मित्रा ने डॉक्टर संजय कौल और सलीम जहांगीर किरमानी की तरफ से जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में तमाम अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों के डॉक्टरों समेत तमाम मेडिकल स्टाफ के मोबाइल फोन सेवा बहाल करने की की मांग की गई थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को मेडिकल संस्थानों में इंटरनेट और टेलीफोन सेवा बहाली के लिए निर्देश जारी करने की अपील की गयी थी।

भसीन ने याचिका में घाटी में मीडिया की आवाजाही की अनुमति मांगी 

कश्मीर टाइम्स के कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन द्वारा दायर याचिका में घाटी में मीडिया की आवाजाही की अनुमति मांगी गई थी। 13 अगस्त को भसीन ने दावा किया था कि कश्मीर टाइम्स संचार सेवाओं और आंदोलन पर अंकुश के कारण प्रकाशित नहीं हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया था कि संविधान के विभिन्न प्रावधानों के तहत पत्रकारों के अधिकारों पर बैन लगाया गया था।

 

इस याचिका में कश्मीर में बच्चों को हिरासत में लिए का आरोप लगाया

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा की याचिका को भी संवैधानिक पीठ को रेफर कर दिया है। इस याचिका में अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में बच्चों को हिरासत में लिए का आरोप लगाया था। जाने के खिलाफ अपील दायर की गयी थी। बीते 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35A को रद्द कर दिया था।

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