समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जस्टिस जेएस खेहर ने मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा को इस बारे में पत्र लिखा है.
सर्वोच्च न्यायालय के एक अधिकारी के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश ने सहारा मामले की सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन किया है.
पीठ के अन्य जज जस्टिस राधाकृष्णनन के सेवानिवृत्त होने के कारण पीठ का दोबारा गठन किया गया है.
14 मई को सेवानिवृत्त हुए न्यायाधीश राधाकृष्णनन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि सहारा के मामले की सुनवाई के दौरान पीठ को भारी दबाव और तनाव का सामना करना पड़ा.
जस्टिस खेहर ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से यह आग्रह भी किया है कि सहारा समूह की कंपनियों से संबंधित कोई मामला भविष्य में ऐसी किसी पीठ के समक्ष न भेजा जाए जिसके वे सदस्य हों.
सुप्रीम कोर्ट ने छह मई को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को हिरासत में रखने को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया था.
फ़ैसला
रॉय को निवेशकों का पैसा वापस न करने के मामले में चार मार्च को हिरासत में लिया गया था और तब से ही वे जेल में हैं.
अपने फ़ैसले में अदालत ने कहा था, "जब समूह को निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए तैयार करने के सारे प्रयास विफल हो गए तो हमें कड़े क़दम उठाने पड़े. रॉय और उनकी कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की व्यवस्थित तरीके से अवहेलना की है."
207 पन्नों के अपने फ़ैसले में अदालत ने कहा था, "तथ्य बताते हैं कि सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और एसएटी के सभी आदेशों की अवहेलना की है. न्यायिक आदेशों की उपेक्षा करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती और हमारे आदेशों की अवमानना क़ानून के शासन को प्रभावित करना है."
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