कहानी : 30 योग्य पर सामर्थ्यविहीन बच्चों के गुरु कैसे दिलाते हैं सफलता, यही है फिल्म की कहानी
समीक्षा :
अंडरडॉग स्टोरीज का अपना ही एक ढर्रा होता है, सुपर 30 उनसे अलग नहीं है। आप जानते ही हैं, कि अंत मे क्या होगा। ऐसी फिल्म्स में आप जरनी के लिए देखते हैं। फिल्म की राइटिंग थोड़ी डल है और डायरेक्शन इनकंसिस्टेन्ट. कहीं कहीं फिल्म बहुत अच्छी है और कहीं कहीं पर स्लो और बोर करती है। पर अंत भला तो सब भला एन्ड तक आते आते फिल्म ठीक हो जाती है और जिस मकसद से बनाई गई है उसको पूरा भी करती है। आनंद के जीवन के कुछ पहलू बड़े ही भावुक तरीके से दिखाए गए हैं। बच्चों की देखभाल करने वाले आनंद के किरदार में कई बार आपको मिस्टर इंडिया के अरुण का किरदार साफ दिखाई देता है। राइटिंग अगर थोड़ी कंसिस्टेन्ट होती तो ये फिल्म चक दे इंडिया भी बन सकती थी पर कुछ क्लीशे एलिमेंट और एक फ़िज़ूल की प्रेमकथा फिल्म से और सब्जेक्ट से ध्यान भटकाती है। सेकंड हाफ बहुत ही बढ़िया एडिट है पर फर्स्ट हाफ से आराम से 15 से 20 मिनट कम किये जा सकते हैं। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी, आर्ट और बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है।
It was a long wait [#Kaabil in 2017 and #Super30 in 2019]... But it was well worth the wait... #Super30Trailer lives up to the hype and expectations... Expecting a standout performance from Hrithik, yet again... Link: https://t.co/ZaRvGAd25L
— taran adarsh (@taran_adarsh) 4 June 2019
अदाकारी :
16" के बाइसेप्स और 5 किलो ब्रोंजर के नीचे ऋतिक को आनंद बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। लुक वाइज भले ही ऋतिक रोल में फिट नहीं होते पर एक्टिंग और एफर्ट में कोई कमी नहीं है। ऋतिक अपने मस्कुलर कंधों पर लिट्रेलि पूरी फिल्म कैरी करते हैं, हालांकि उनका डायलेक्ट नकली लगता है।ब्रोंजर से पुते नंदिश का काम बहुत ही अच्छा है, कंपोजड है, उन्हें और फिल्म्स में देखना चाहूंगा। पंकज त्रिपाठी , अमित साध, साधना सिंह और वीरेंद्र सक्सेना का काम भी बहुत अच्छा है।
अपनी लेजी राइटिंग और पैची डायरेक्शन के बावजूद फिल्म इतनी बुरी नहीं है। 30 नवोदित बच्चों का काम और ऋतिक के एक डीसेंट परफाॅर्मेन्स के लिए एक बार देख सकते हैं सुपर 30।
बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : 60 -80 करोड़
रेटिंग : 3 स्टार
Review by: Yohaann Bhaargava
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