इंडिया में नहीं हो सकती जांच
एम्स के मेडिकल बोर्ड ने 29 दिसंबर की अपनी रिपोर्ट में छह तरह के जहरों का हवाला देकर कहा था कि इनकी जांच अपने देश में नहीं हो सकती है. इनमें मेटालिक रेडियो एक्टिव, थैलियम और पोलोनियम तत्व शामिल हैं. करीब 25 हजार पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर चुके फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. कृष्ण कुमार का कहना है कि सालभर बाद दुनिया की किसी भी लैब में इनका पता लगा पाना आसान नहीं होगा. थैलियम और पोलोनियम की जांच पोस्टमार्टम के समय एक्स-रे से हो सकती है. सुनंदा के मामले में ऐसा नहीं हुआ.
विसरा जांच में लगा एक साल
फॉरेंसिक एक्सपर्ट का कहना है कि सुनंदा का विसरा पहले सीएफएसएल में जांच के लिए लिया गया. इसके बाद नमूना कितना बचा होगा और कैसा होगा, यह भी बड़ा सवाल है. विसरा जांच में करीब तीन घंटे लगते हैं, लेकिन सुनंदा के मामले में साल भर लग गया. हो सकता है कि सुनंदा को बिना स्वाद और गंध वाला जहर खिलाया गया हो. इंजेक्शन से जहर देने की संभावना कम लगती है, क्योंकि कलाई के पास आसानी से इंजेक्शन नहीं लगाया जा सकता है. इसके लिए कम से कम तीन लोगों की जरूरत पड़ेगी. जिस तरह सुनंदा का शव बिस्तर पर पड़ा था, उससे ऐसा भी नहीं लग रहा था कि जोर-जबरदस्ती की गई हो.
दांतों के निशान से हो सकता था मिलान
पोस्टमार्टम की अंतिम रिपोर्ट में सुनंदा के हाथ में दांतों से काटने के निशान मिले हैं, ऐसे में उसका नमूना लेना जरूरी था. शक के दायरे में आए लोगों के दांतों के निशान मिलाकर मामले को सुलझाया जा सकता था, लेकिन इस केस में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया.
क्या है हत्या का राज
गौरतलब है कि सुब्रमण्यम स्वामी शुरू से ही यह कहते आए हैं कि सुनंदा की मौत नहीं बल्कि उनकी हत्या की गई. उनका यह भी कहना है कि थरूर सुनंदा की हत्या में शामिल नहीं हैं लेकिन उनकी पत्नी की हत्या किसने की, इस बारे में उन्हें पता है. थरूर ने सुनंदा की हत्या में मदद पहुंचाई. 51 वर्षीय सुनंदा पुष्कर की पिछले साल 17 जनवरी को पंचतारा होटल लीला में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह दुर्लभ जहर बताया गया. इसकी जांच देश के किसी भी लैब में संभव नहीं है. इसलिए दिल्ली पुलिस जल्द ही विसरा को विदेश के लैब में भेजेगी ताकि घटना का खुलासा हो सके.
Hindi News from India News Desk
National News inextlive from India News Desk