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KANPUR: आप भी नैचुरल प्रोडक्ट्स के फैन होने के नाते अपने यूज की सभी चीजों में आयुर्वेद प्रोडक्ट्स को तलाशते हैं। अगर हां, तो 'आयुर्वेदिक' के फाउंडर मुंबई के कार्तिकेयन कुप्पुस्वामी का नीम के टूथपिक्स और सुपारी के पत्तों की प्लेट्स वाला ये स्टार्टअप आपके बहुत काम आने वाला है। जानते हैं कि आखिर क्या है इन आयुर्वेदिक टूथपिक्स और प्लेट्स की स्पेशियालिटी।
नीम के टूथपिक्स
कुप्पुस्वामी इस बारे में कहते हैं कि आयुर्वेदिक नीम के टूथपिक्स नीम की लकड़ी के अर्क से बने हैं। उनका कहना है कि हमारे समाज में दातों और जीभ की सफाई के लिए नीम के दातून का यूज होता आया है, जो कि एंटीबैक्टीरियल क्वालिटीज के लिए जाना जाता है। इसके अलावा आयुर्वेदिक नीम के टूथपिक में तेल भी होता है, जिनमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो खाना खाने के बाद सांस लेने और डाइजेशन में भी हेल्प करते हैं।
हेल्थ के लिए सेफ एरिका प्लेट्स
एरिका प्लेट्स, डिस्पोजेबल प्लेट्स का अच्छा ऑप्शन है। आमतौर पर मार्केट में मिलने वाली प्लास्टिक की प्लेट्स हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होती। ऐसे में इन प्लेट्स को बनाने का ख्याल कुप्पूस्वामी के मन में आया। ये प्लेट्स जंगल के फर्श से इक्कठा की गईं सुपारी की पत्तियों
से बनाई गई हैं। यानी इसे तैयार करने के लिए किसी पेड़ को भी नहीं काटना पड ̧ता है और हेल्थ के ख्याल से भी यह पूरी तरह सेफ है।
ऐसे आया आइडिया
अपने स्टार्टअप के आइडिया को लेकर कुप्पूस्वामी बताते हैं कि बचपन से उन्होंने अपने दादा और दादी को नैचुरल चीजों को यूज करते हुए देखा है और उनकी खासियतें जानी हैं। जैसे जैसे वह बड़े हुए तो अपने आसपास बढ़ती आर्टीफीशियल चीजों के यूज और उनसे होने वाले हाम्र्स को देखकर डर गए। तभी उन्होंने अपने ग्रैंड पेरेंट्स के बताए नुस्खों से इन दो ऐसी चीजों के स्टार्टअप को शुरू किया, जिसका इस्तेमाल हर कोई करना चाहता है।
बचा वेस्ट गायों के लिए फायदेमंद
कुप्पू स्वामी बताते हैं कि पहले प्लेट्स बनाने के बाद सुपारी के वेस्ट मटीरियल्स को वह फेंक देते थे, लेकिन फिर उन्हें पता चला कि उनके सेटअप के पास कई चरने वाली गायें वहां पड़े वेस्ट मटीरियल्स को खा रही थीं। तब उन्होंने कचरे को छोटे टुकड़ों में तोड़ने और गायों को खालाने के बारे में सोचा, लेकिन इसे हाथों से किया जा रहा था। बाद में उन्होंने इसे महीन पाउडर का रूप दे दिया और जानवरों को खिलाया। कुप्पू कहते हैं कि उन्होंने इंटरनेट पर रिसर्च किया और पाया कि सरकार भी सुपारी के पत्तों को जानवरों को खिलाने के बारे में काम कर रही है। रिसर्च में उन्होंने पाया कि धान की तुलना में सुपारी के अपशिष्ट में अधिक पोषण होता है, जिससे गाय के दूध के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
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ऐसी है अवेलेबिलिटी
कार्तिकेयन कुप्पूस्वामी के दोनों ही प्रोडक्ट्स इस समय ऑनलाइन बेहतरीन रन कर रहे हैं। इनके प्रोडक्ट्स अमेजन, फ्लिपकार्ट, शॉपक्लूज और कई ई कॉमर्स साइट पर लिस्टेड हैं। इस समय इनके ये आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स इंडिया के 23 शहरों में उपलब्ध हैं। अब आगे भी वह ज्यादा से ज्यादा आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स के साथ मार्केट में आने की प्लानिंग कर रहे हैं। इसके अलावा अब जल्द ही इन प्रोडक्ट्स के ऑफलाइन स्टोर खोलने की भी इनकी प्लानिंग है। वहीं अब वह अपने प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग को कारगर तरीके से तेज करने के लिए गर्वनमेंट से भी कुछ सपोर्ट की उम्मीद रखते हैं, ताकि पूरे देश में आसानी के साथ अपनी पहचान बना सकें।
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