ऑड-ईवन फार्मूला
पेरिस में 2020 तक डीज़ल कारों पर पूरी तरह से रोक लगाने की योजना है तो वहीं बीजिंग, पेरिस, बोगोटा और लंदन जैसे दुनिया के कई बड़े शहरों में ऑड-ईवन फार्मूला कार-फ्री शहर बनाने की तरफ कुछ छोटे मगर अहम क़दम हैं।
प्रदूषण से परेशान दिल्ली के नागरिकों को अब एक बार फिर से ऑड-ईवन फार्मूला आज़माने का मौक़ा मिल रहा है। इसे लेकर दिल्ली की जनता की राय बंटी हुई है।
कोई कहता है कि जब तक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली बेहतर नहीं होगी ये योजना कामयाब नहीं होगी।
दिल्ली की आबादी एक करोड़ 70 लाख है। वाहनो की संख्या लगभग एक करोड़ है। इसके इलावा अन्य राज्यों से हर दिन लाखों गाड़िया दिल्ली में प्रवेश करती हैं।
ट्रैफिक नियम
इन लोगों के मुताबिक़ ऐसे में इस स्कीम को कैसे लागू किया जा सकता है?
कुछ दूसरे लोग कहते हैं कि दिल्ली की जनता ट्रैफिक नियमों का पालन ठीक से नहीं करती इसलिए ये स्कीम असफल हो जाएगी।
कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस फॉर्मूले को लागू किए जाने के पक्ष में हैं। दिल्ली सरकार कहती है कि अगर ये योजना कामयाब न रही तो इसे रद्द कर दिया जाएगा।
ये एक ऐसी कोशिश है जिसे दुनिया के कई बड़े शहरों में आज़माया गया है। कुछ शहरों में अब भी इसे ज़रूरत पड़ने पर लागू किया जाता है। तो क्या इससे इन शहरों में प्रदूषण कम हुआ? एक नज़र ऐसे ही कुछ शहरों पर।
बीजिंग
बीजिंग और दिल्ली दुनिया के दो सब से अधिक प्रदूषित शहर हैं। दिल्ली की तुलना बीजिंग से ही करना बेहतर है क्योंकि आबादी, गाड़ियों की संख्या और साइज के हिसाब से दिल्ली बीजिंग के बराबर हैं।
बीजिंग में ऑड-ईवन फार्मूला पहली बार 2008 के ओलिंपिक खेलों के दौरान लागू किया गया।
इसके अलावा दो और समय पर इसे लागू किया गया। नयी गाड़ियों की बिक्री पर भी पाबंदी लगायी गयी है। प्रदूषण काफी कम हुआ।
लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार किया कि हाल के वर्षों में शहर में प्रदूषण एक बार फिर बढ़ा है। इसकी रोकथाम के लिए बीजिंग कई नए रास्ते ढूंढ रहा है। साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को और भी मज़बूत बनाने की कोशिश की जा रही है।
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पेरिस
पेरिस में 2014 और मौजूदा वर्ष में इस योजना को लागू किया गया और अधिकारी कहते हैं कि दोनों बार प्रदूषण का लेवल काफी नीचे आया।
योजना के उल्लंघन करने वालों को 22 यूरो का जुर्माना भी लगाया गया और इसके इलावा अधिकारियों ने वाहनों की गति सीमा 20 किलोमीटर प्रति घंटे कर दी थी।
पेरिस में सबसे पहले ऑड-ईवन फार्मूला 1997 में लागू किया गया था।
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मेक्सिको सिटी
ऑड-ईवन फार्मूला मेक्सिको की राजधानी में सब से पहले 1984 में लागू किया गया जो 1993 तक चला। इसका पालन न करने वालों को दो हज़ार रुपये से लेकर चार हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगाया गया।
योजना के लागू करने के तुरंत बाद प्रदूषण में 11 प्रतिशत की कमी आई लेकिन लोगों ने ऑड और ईवन दोनों रजिस्ट्रेशन नंबर की कारें खरीदनी शुरू कर दीं जिससे सड़कों पर कारों की संख्या और भी बढ़ गई। प्रदूषण के स्तर में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई।
हालत इतनी बुरी हो गयी कि संयुक्त राष्ट्र ने मैक्सिको सिटी को 1992 में दुनिया का सब से प्रदूषित शहर घोषित किया। अधिकारियों को ये फार्मूला रद्द करना पड़ा।
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बोगोटा
दक्षिण अमरीकी देश कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में व्यस्ततम समय में शहर के अंदर कारों के प्रवेश पर हफ्ते में दो दिन पूरी तरह से पाबंदी लगा दी।
मेक्सिको में ऑड-ईवन दोनों कारों को खरीदने से इस योजना की विफलता को देखते हुए बोगोटा के अधिकारीयों ने ऑड और ईवन के तय शुदा दिनों को बारी-बारी से बदलना शुरू कर दिया। लेकिन इसके बावजूद ये योजना नाकाम हो गई।
हुआ ये कि वाहन चालकों ने व्यस्ततम समय (पीक समय) में लगी पाबंदी को देखते हुए पीक समय के पहले और बाद गाड़ियों को शहर में लाना शुरू कर दिया जिसके कारण शहर की सड़कों पर ट्रैफिक जाम लगना शुरू हो गया।
लंदन
2003 में पहली बार सेंट्रल लंदन में वाहनों के प्रवेश पर 5 पाऊंड भीड़ शुल्क लागू किया गया जो अब तक जारी है। इन दिनों भीड़ शुल्क 10 पाऊंड है।
अधिकारियों ने बाद में शहर में कम उत्सर्जन क्षेत्रों की पहचान की जहाँ केवल सबसे अच्छा उत्सर्जन मानकों वाले वाहनों के आने की अनुमति दी गई।
ये योजना स्टॉकहोम में भी लागू है। अधिकारी कहते हैं कि लंदन में प्रदूषण का स्तर काफी नीचे आया है।
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