केंद्र के कानून को दी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में पेटीशन दायर करने वाले इस बच्चे का कहना है कि वह सातवीं का छात्र है और उसकी उम्र 13 वर्ष है. उसने 2014 में उसने फाइनल परीक्षा दी थी पर स्कूल प्रबंधन ने उसे फेल कर दिया. उसे आठवीं में भेजे जाने के बजाय सातवीं कक्षा में ही एक साल और पढ़ाने का निर्णय लिया. छात्र ने अपने पिता के माध्यम से स्कूल प्रबंधन से निवेदन भी किया, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. इस मामले में उपराज्यपाल से भी शिकायत की गई, मगर कार्रवाई नहीं हुई. इस बच्चे का नाम हिमांशु पांडेय है और यह मुखर्जी नगर, दिल्ली का रहने वाला है. बच्चे ने एडवोकेट अशोक अग्रवाल और अनुज अग्रवाल के जरिए लाजपत नगर स्थित द फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल, ऑल इंडिया एंग्लो-इंडियन एजुकेशन इंस्टीट्यूट के चेयरमैन, शिक्षा निदेशालय दिल्ली सरकार, उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
छीना गया राइट टू एजुकेशन
बच्चे का मानना है कि यह उसके राइट टू एजूकेशन का उल्लंघन और उसके करियर के साथ खिलवाड़ है. हिमांशु ने खुद को पास घोषित किए जाने और उसे सातवीं से आठवीं में प्रमोट करने की मांग को लेकर यह याचिका दायर की है. साथ ही उसने केंद्र द्वारा तय उस कानून को भी चुनौती दी है, जिसमें यह कहा गया है कि आठवीं तक किसी बच्चे को फेल नहीं किया जाएगा. मगर उसी कानून ने इस कार्रवाई को लेकर अल्पसंख्यक स्कूलों को इस दायरे से बाहर कर दिया.