'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' और 'पीकू' के नाम रहा ये महीना
बीते हफ्ते रिलीज हुई फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स'. फिल्म में कंगना रानोट की डबल रोल भूमिका को दर्शकों ने खूब पसंद किया. उनकी दमदार परफॉर्मेंस को लोगों ने सिर आंखों पर जगह दी. इसके साथ ही फिल्म 'पीकू' भी इन दिनों थिएटर्स में काफी चल रही है. फिल्म में दीपिका के किरदार को समीक्षकों और दर्शकों ने खूब पसंद किया. फिल्म में अमिताभ बच्चन और इरफान खान जैसे स्टारकास्ट मौजूद होने के बावजूद सबसे ज्यादा क्रेडिट फिल्म की फीमेल लीड रोल ले गईं. ये हैं दीपिका पादुकोण.
लंबे अर्से बाद आया वक्त इनका
80 और 90 के दशक में भी प्रकाश झा जैसे निर्देशकों ने इंडस्ट्री को 'मृत्युदंड' जैसी महिला उन्मुख फिल्में देने की कोशिश की, लेकिन दर्शकों ने उन्हें ज्यादा पसंद नहीं किया और वह बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हो गई. अब ऐसा जान पड़ता है जैसे समय भी महिला एक्ट्रेसेस के साथ ही मुड़ गया है. ये वक्त भी उन फिल्म डायरेक्टर्स का भरपूर साथ दे रहा है, जो महिलाओं को केंद्रित करते हुए फिल्में बना रहे हैं. इतना ही नहीं आज की ये एक्ट्रेसेस भी खुशी-खुशी तैयार हैं पूरी फिल्म की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने के लिए.
जब गौरी शिंदे बोलीं कुछ यूं
बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर गौरी शिंदे (जिन्होंने बतौर निर्देशक अत्यधिक प्रशंसित फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' से बॉलीवुड में डेब्यू किया) को एकबार ऐसा कहते सुना गया कि यहां बड़े स्तर पर लोगों का यह मानना है कि महिला केंद्रित फिल्में काफी बोरिंग होती हैं. इसपर उन्होंने कहा कि जब तक महिलाएं खुद से इस बात का फैसला नहीं करेंगी कि वह क्या देखना चाहती हैं, तब तक चीजें किसी कीमत पर नहीं बदल सकतीं.
विद्या बन गईं आइकन
2012 ने भी एक्ट्रेस विद्या बालन स्टारर मूवी 'कहानी' को देखा. इस फिल्म से इंडस्ट्री ने इस एक्ट्रेस का बतौर हीरो स्वागत किया. इससे पहले 2011 में विद्या ने 'The Dirty Picture' और 'No One Killed Jessica' सरीखी फिल्में की. ये फिल्में भी पूरी तरह से इन्हीं पर केंद्रित थीं. सूत्र बताते हैं कि इन्हीं फिल्मों के बाद विद्या ने फिल्मों में काम करने के लिए अपनी फीस को बढ़ाकर 7 करोड़ रुपये कर दिया. चर्चा यह भी थी कि 2014 में रिलीज हुई फिल्म 'शादी के साइड इफेक्ट्स' में काम करने के लिए विद्या को फरहान अख्तर से भी ज्यादा पैसे दिए गए. यहां तक कि जब विद्या ने निर्देशक प्रदीप सरकार की फिल्म 'परिणिता' से बॉलीवुड में डेब्यु किया, तब भी फिल्म का पूरा क्रेडिट इन्हीं को मिला. इसको लेकर खुद प्रदीप सरकार कहते हैं कि जब वह फिल्म बना रहे थे, उस वक्त उन्होंने खुद नहीं सोचा था कि ये महिला केंद्रित फिल्म है.
शुजित ने बोला धन्यवाद
फिल्म 'पीकू' बनाने वाले निर्देशक शुजित सरकार कहते हैं कि वह 2005 में आई फिल्म 'Yahaan' से वह जैसे गैर पारंपरिक फिल्मों पर ही अटक गए थे. वह कहते हैं कि वह दर्शकों को आज वही कहानी दिखा रहे हैं, जो उनके हिसाब से सही होती है. उनका मानना है कि वह बहुत किस्मत वाले हैं और दर्शकों का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने उनकी फिल्मों को अपना इतना ढेर सारा प्यार दिया. शुजित कहते हैं कि अब फिलहाल दर्शक 'पीकू' जैसी फिल्में ही पसंद कर रहे हैं.
2013 में माधुरी और अन्य ने जमा दिए पांव
साल 2013 में करीब दर्जन भर महिला केंद्रित फिल्में आईं. उनमें से कई बॉक्स ऑफिस पर कामयाब भी रहीं. इसकी शुरुआत हुई फिल्म 'डेढ़ इश्कियां' से. ये कहानी थी दो औरतों (माधुरी दीक्षित और हूमा कुरेशी) और उनके निराले प्रेमियों (नसीरुद्दीन शाह और अरशद वारसी) की. इसके बाद आईं फिल्में 'हाईवे' (आलिया भट्ट), 'गुलाब गैंग' (माधुरी दीक्षित और जूही चावला) और काफी चर्चा में रही 'क्वीन' (कंगना रानोट). महिला केंद्रित फिल्मों के अब तक के कारोबार में इन फिल्मों ने सबसे ज्यादा कमाई की.
2014 में भी अनुष्का समेत कइयों को मिली कामयाबी
2014 में भी कई कमर्शियल कामयाब फिल्में आईं. इनमें प्रियंका चोपड़ा स्टारर फिल्म 'मैरी कॉम' और रानी मुखर्जी स्टारर फिल्म 'मर्दानी' शामिल हैं. अब भला वो साल भी भला कैसा, जिसमें विद्या बालन सेंटर्ड मूवी का जिक्र न हो. इस साल विद्या पर्दे पर आईं जासूस के किरदार में फिल्म 'बॉबी जासूस' में. बड़ी बात ये है कि इस फिल्म को इन्हीं की फीमेल सहयोगी दिया मिर्जा ने प्रोड्यूस किया. यह चलन इस साल भी बरकरार है. एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने अपनी फिल्म 'NH10' को प्रोड्यूस किया. यह थी लीक से हटकर महिला केंद्रित थ्रिलर मूवी. फिल्म को मार्च में बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त ओपनिंग मिली. इसको लेकर अनुष्का कहती हैं कि उन्हें इस बात पर पूरा विश्वास है कि अगर आप किसी चीज पर इतना ज्यादा विश्वास करते हैं और उसका कंटेंट वाकई अच्छा है, तो दर्शक आपको एक मौका जरूर देगी. लोग अच्छी फिल्में देखना चाहते हैं, जो अच्छी कहानी बयां करें. इसको देखते हुए उन्हें ऐसा नहीं लगता कि सिर्फ पुरुष प्रधान फिल्में ही धमाल मचा सकती हैं.
करीना कपूर ने शुरू की अपने हक में आवाज उठानी
पहले के दौर में सिर्फ एक्टर ही होते थे, जो फिल्म के प्रॉफिट का हिस्सा ले सकते थे, लेकिन आज के दौर की करीना कपूर ऐसी पहली एक्ट्रेस रहीं जिन्होंने 2012 में रिलीज हुई निर्देशक मधुर भंडारकर की फिल्म 'हीरोइन' से इस परंपरा को तोड़ दिया. पहले तो इन्होंने फिल्म के लिए 8 करोड़ रुपये अपनी फीस की पेशकश रखी, लेकिन कई मीटिंग्स के बाद वह इस बात पर राजी हो गईं कि वो फिल्म के प्रॉफिट को शेयर करेंगी. वहीं अब ये भी सुनने में आ रहा है कि एक्ट्रेस एश्वर्या राय बच्चन अपनी कमबैक फिल्म 'जज्बा' के लिए भी प्रॉफिट शेयरिंग के नाम पर तैयार हुईं हैं. ट्रेड एक्सपर्ट अमोद मेहरा कहते हैं कि आज की महिलाएं अपना शेयर लेने से किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटना चाहतीं. उनका कहना है कि आज की एक्ट्रेसेस इस बात को जानती हैं कि उनके काम के एवज में वह भी उतने ही लाभ की हकदार हैं जितने कि एक्टर्स हैं.
अब और एक्ट्रेसेस ने भी उठाई अपने अमाउंट को लेकर आवाज
एक समय था जब 1995 में रिलीज हुई फिल्म 'राजा' के लिए माधुरी दीक्षित को एक्टिंग के एवज में संजय कपूर से कम पैसे दिए गए. ये उस समय की बात है जब लोग संजय कपूर को बतौर स्टार नहीं जानते थे. इसके विरुद्ध आज की एक्ट्रेसेस अपना मुंह खोल चुकी हैं. वह अपनी फीस के बारे में बराबरी की भावना को लेकर आवाज उठा रही हैं. करीना कपूर खान ऐसी पहली एक्ट्रेस हुईं, जिन्होंने अपने पेमेंट को लेकर आवाज उठाई. इनके साथ ही प्रियंका चोपड़ा ने भी अपने कदम मिलाए और अपनी मेहनत के हक में आवाज उठाई. इनके बाद अनुष्का शर्मा का भी यही मत रहा कि बॉक्स ऑफिस पर सफलता का श्रेय हीरो के साथ-साथ हीरोइंस को भी मिलना चाहिए. दीपिका पादुकोण को 2013 में रिलीज हुई फिल्म 'गलियों की रासलीला: राम लीला' में काम के बदले रणबीर सिंह से ज्यादा 8 करोड़ की पेमेंट दी गई. इसको लेकर दीपिका कहती हैं कि अगर आप पुरुषों से अपना पे-स्केल नापेंगी, तो वाकई ये उनकी अपेक्षा बहुत कम है. सूत्रों की मानें तो इस समय करीना कपूर खान एक फिल्म में काम करने के लिए 8.5 करोड़ रुपये, प्रियंका चोपड़ा 7 से 8 करोड़ रुपये, जबकि कटरीना कैफ और ऐश्वर्या राय बच्चन एक फिल्म का 6 से 7 करोड़ रुपये ले रही हैं.
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