वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बढ़ती कीमतों के मसले पर मंगलवार को एक आपातकालीन बैठक की, जिसमें वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण और खाद्य मंत्री राम विलास पासवान मौजूद थे.

इस बैठक के बाद जेटली ने संवाददाताओं के बताया कि बिचौलियों को काबू में करने के लिए राज्यों को सलाह दी गई है कि जो फल और सब्जियां केवल मंडियों के जरिए ही बाजार में जाती हैं, उन्हें डीलिस्ट कर सीधे बाजार में भेजने का इंतजाम करें.

उन्होंने बताया, "दिल्ली के संबंध में उप-राज्यपाल साहब को सलाह दी जाएगी कि बुधवार को इसे डिलिस्ट कर दिया जाए."

जेटली ने कहा कि सरकार 22 वस्तुओं पर नज़र बनाए हुए हैं और इसमें से चार-पांच वस्तुएँ ऐसी हैं, जिनकी कीमतों में बढ़ोत्तरी नज़र आई है.

जमाखोरी

उन्होंने कहा कि  खाद्य पदार्थों की महंगाई को काबू में रखने के लिए सरकार ने तय किया है कि जहां भी जमाखोरी की जा रही है, वहां राज्यों को सलाह दी जाएगी कि जमाखोरों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की जाए.

उन्होंने बताया कि इस साल कमजोर मानसून के अनुमानों के चलते कुछ स्थानों पर जमाखोरी हो रही है.

जमाखोरों पर कार्रवाई करें राज्य: जेटली

जेटली ने बताया कि आलू और प्याज के निर्यात को हतोत्साहित किया जाएगा और दिल्ली में सरकार खुद आलू और प्याज खरीदेगी और इसे मदर डेयरी बूथ के जरिए वितरित करेगी.

भारत में थोक कीमतें मई में बढ़कर पांच महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. साथ ही इस साल देश में मॉनसून के कमजोर रहने और वैश्विक बाजारों में कच्चे तेज की कीमतो में तेज़ी की आशंका के चलते महंगाई का दबाव जारी रहने का अनुमान है.

उन्होंने बताया कि बाजार में बड़ी मात्रा में चावल जारी किया जाएगा और राज्यों को इस बात की इजाजत दी जाएगी कि वो अपनी जरूरत के मुताबिक दालों और खाद्य तेलों का सीधे आयात कर सकें.

गौरतलब है कि भारत दालों और खाद्य तेलों की जरूरत को पूरा करने के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है.

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