रामायण और बाहुबली
इस फिल्म को अगर काफी हद तक रामायण की महाकथा से जोड़ कर देखा जा सकता है, देवसेना और अमरेन्द्र को राम और सीता की तरह ही उनकी सौतेली माँ वनवास भेज देती हैं... फिर देवसेना को भाल्लाल , रावण बन कर अपनी लंका में कैद कर लेता है और देवसेना इंतज़ार करती है रावण के अंत का और लंका के दहन का, लंका पर महेंद्र विजय प्राप्त करता है और सीता को आज़ाद करता है... इस बार सीता को अग्नि परीक्षा नहीं देनी पड़ती...बस इतना फर्क है...
महाभारत और बाहुबली
इस फिल्म की कहानी महाभारत सी भी है, यहाँ देवसेना द्रौपदी है, अमरेन्द्र पांडव, और भाल्लाल्देव कौरव. यहाँ भी पांडवों को पहले अज्ञातवास में जाना पड़ता है और वहीँ द्रपादी से उनका ब्याह होता है और बाद में होती है सिंघासन की लड़ाई... एक महायुध्ह और इस महायुद्ध के बाद महेंद्र का राजतिलक...
कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा, ये मुद्दे की बात नहीं है...वो बस कहानी का एक हिस्सा है...कटप्पा इस फिल्म का हनुमान भी है और कृष्ण भी...आप जैसे उस किरदार को देखेंगे वो किरदार आपको वैसा ही दिखाई देगा.
बाहुबली है एक अमर चित्रकथा
इस फिल्म में गलतियां निकालना बड़ा मुश्किल काम है, फिल्म इतनी अच्छी तरह से लिखी गई है की इसका एक एक हिससा फिल्म के लिए ज़रूरी है. फिल्म की कहानी आज के समाज को ध्यान में रखते हुए काफी रिलेवेंट है. वो समाज जहां नारी का दर्जा पुरुष के सामान माना नहीं जाता वहाँ ये कहानी एक ‘फेमिनिस्ट’ सोच को बढ़ावा देती है, अनुष्का द्वारा अभिनीत देवसेना का किरदार एक परफेक्ट फेमिनिस्ट किरदार है. वो सीता भी है और द्रौपदी भी, वो धर्म, शस्त्र और शास्त्र में तो पारंगत है ही साथ ही वो निडर है. सही मायनों में कहें तो यही इस फिल्म का असल बाहुबली किरदार है।
फिल्म : बाहुबली- 2
रेटिंग : *****
दस कारण जिसकी वजह से ये फिल्म इस बीते कई सालों की अब तक की सबसे शानदार फिल्मों में से एक है.
1. कहानी
फिल्म की कहानी बेहद शानदार है, और यही सबसे बड़ा कारण है की फिल्म आपको सीट से बाढ़ कर रखती है, एक सेकंड भी ऐसा नहीं आता की आप सीट से उठ कर पॉपकॉर्न लेने जा पाएं.
2. संवाद
कहानी की तरह इस फिल्म के संवाद भी उतने ही अच्छे हैं, खासकर फिल्म के पहले हिस्से में कटप्पा के संवादों की कॉमिक टाइमिंग आपको ज़रूर पसंद आएगी.
3. भव्यता (प्रोडक्शन डिजाईन)
ये फिल्म इतनी भव्य है, की एक पल के लिए भी आपकी नज़र इधर उधर नहीं भटकती, एक एक फ्रेम आपको मंत्रमुग्ध कर देता है, उसका बहुत बड़ा कारण हैं इसके विराट सेट्स.
4. संगीत और कोरियोग्राफी
फिल्म का संगीत काफी अच्छा है. और उससे भी ज्यादा अच्छी है इसकी कोरियोग्राफी.
5. अदाकारी
शिवागामी के किरदार में रम्या और देवसेना के किरदार में में अनुष्का ने इतना ज़बरदस्त अभिनय किया है की अब आगे उनके लिए इन किरदारों से बेहतर कुछ कर पाना काफी मुश्किल होने वाला है. राणा और प्रभास तो बढ़िया हैं ही पर इस फिल्म से अगर कोई किरदार अमर हो जाता है तो वो हैं कटप्पा का किरदार अदा करने वाले सत्यराज, उनको स्टैंडिंग ओवेशन.
6.एक्शन कोरियोग्राफी
फिल्म का एक्शन इसका हाई पॉइंट है खासकर फिल्म के एंड में, कहीं कहीं ये थोडा अनरीयलिस्टिक है, पर ये एक फेंटेसी फिक्शन फिल्म है, कोई रीयलिस्टिक फिल्म नहीं इसलिए इस बात को आसानी से नज़रंदाज़ किया जा सकता है
7. सिनेमेटोग्राफी
फिल्म का कैमरा वर्क इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड का है और इस तरह के कैमरावर्क का मुकाबला कर पाना अच्छे अच्छे कैमरामेन के लिए मुश्किल काम है.
8. वी ऍफ़ एक्स
ये इस फिल्म के वी ऍफ़ एक्स का ही कमाल है की लगता है की आप वाकई माहिष्मती में पहुँच गए हों और जो कुछ भी हो रहा है आपके सामने हो रहा है, इस फिल्म को मैं ३ डी में देखना चाहूँगा
9. सोशल मेसेज
आज के समय में फिल्में समाज का आइना हैं, इस फिल्म के सोशल मेसेज इस फिल्म के हर प्लाट और सबप्लाट में भरे पड़े हुए हैं, चाहे वो नारी सशक्तिकरण हो, जातीभेदभाव और पारिवारिक अलगाव की निंदा हो, आपको अंडरटोन में काफी स्ट्रोंग सोशल मेसेजिंग मिलेगी
10. एंटरटेनमेंट वैल्यू
ये फुल पैसा वसूल फिल्म है. अगर टिकेट महंगे हैं तो भी टिकेट का खर्च आपको खलेगा हैं. पॉपकॉर्न का खर्चा बाख सकता है क्योंकि जाकर लाने का मौका आपको फिल्म के बीच में कम ही मिलेगा.
इन सब के अलावा आपको फाइनली जवाब भी मिल जाएगा जो आप दो साल से ढूंढ रहे हैं...कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?
फिल्म का बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : इस फिल्म का हिंदी डब बड़े आराम से 300 करोड़ से ऊपर का बिजनेस कर लेगा क्योंकि इसकी टक्कर की कोई फिल्म दूर दूर तक रिलीज़ नहीं होने वाली है. तमिल और तेलेगु वर्जन मिला दें तो ये फिल्म 1000 करोड तक भी पहुँच सकती है।
Review by : Yohaann Bhaargava
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