- मेरठ में ही बीता था बोनी कपूर का बचपन

 

आजादी के बाद

ज्ञान दीक्षित के मुताबिक आजादी के बाद पेशावर से आने के बाद उन्होंने उसी व्यवसाय को मेरठ में शुरू किया था। उसी काम में लालचंद के बेटे यानी बोनी कपूर के पिता सुरेंद्र कपूर पिता का सहयोग करते थे। इसके बाद वर्ष 1955 में पृथ्वी राज कपूर ने सुरेंद्र कपूर को के। आसिफ से मिलवाया। यहां से सुरेंद्र कपूर के। आसिफ के साथ जयपुर गए और फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में सहायक निर्देशक के तौर पर काम किया।

 

दुबई में आखिरी सांस

हालांकि श्रीदेवी की सुसराल मेरठ में थी लेकिन वह कभी मेरठ नहीं आईं। एक्ट्रेस श्रीदेवी का शनिवार रात दुबई में निधन हो गया। वह अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री थी। जब वह सेट पर होती तो काम बहुत सीरियस रहती थी लेकिन काली समय में बहुत ही चुलबुली और मजाकिया हो जाती थी।

 

हुई थी मुलाकात

ज्ञान दीक्षित ने बताया कि उनकी श्रीदेवी से दो बार मुलाकात हुई। पहली बार सन 1989 में निगाहे 2 के सेट पर और दोबारा फिल्म चालबाज के सेट पर। इतनी बड़ी एक्ट्रेस होने के बाद भी उनमें अभिमान नाम की कोई चीज नहीं थी। वह जब भी सेट पर आती थी सब उनको चुलबुली कहकर पुकारते थे। वह कभी इस बात का बुरा नहीं मानती थी।