अपील के इन पर्चों में कहा गया है कि वे इस्लामी स्टेट के निर्माण संबंधी उनके विचारों का समर्थन करें.
इसके अलावा पेशावर शहर के भीतरी और बाहरी हिस्सों में भी आईएस चरमपंथियों के समर्थन में कारों पर स्टिकर और दीवारों पर चित्र दिखाई दे रहे हैं.
12 पन्नों की इस प्रचार सामग्री का शीर्षक है- फ़तह यानी जीत. इसके सामने के हिस्से में आईएसआईएस के लोगो का स्टैंप लगा हुआ है और एके-47 राइफ़ल की तस्वीर बनी हुई है.
पश्तो और दरी भाषाओं में लिखी गई इस पुस्तिका में लोगों से वृहत इस्लाम के लिए आईएसआईएस की लड़ाई में सहयोग करने की अपील की गई है.
तालिबान, आईएस की जुगलबंदी?
यानी जो लड़ाई ये संगठन मध्य पूर्व से लेकर मध्य और दक्षिण एशिया में लड़ रहा है, उसमें साथ देने की अपील की गई है.
वैसे पेशावर में कुछ भूमिगत प्रिटिंग प्रेसों में जिहादी साहित्य का प्रकाशित होना कोई नई बात नहीं है. लेकिन इस नए साहित्य के प्रसार ने ये डर पैदा कर दिया है कि आईएस अपना प्रभाव बढ़ा रहा है.
साथ ही ये भी चिंता की बात है कि पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर तालिबान चरमपंथियों के साथ आईएस के चरमपंथियों की जुगलबंदी हो रही है.
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