1. फेल हो गए ओपनर्स
कानपुर। साउथैम्पटन टेस्ट में भारतीय ओपनर बल्लेबाज पूरी तरह से फ्लॉप रहे। केएल राहुल ने जहां दोनों पारियों में कुल 19 रन बनाए तो वहीं शिखर धवन के बल्ले से सिर्फ 40 रन निकले। धवन से टीम इंडिया को काफी उम्मीद थी। मौजूदा सीरीज से पहले टीम इंडिया के गब्बर शानदार फॉर्म में थे। हालांकि इंग्लैंड आते ही उनके प्रदर्शन में काफी गिरावट हुई। ऐसा नहीं कि उन्हें शुरुआत नहीं मिली वह गेंदबाजों की मददगार इन पिचों पर थोड़ी देर तो टिके मगर उसे बड़ी पारी में नहीं बदल पाए। ऐसा सिर्फ साउथैम्पटन टेस्ट ही नहीं पूरी सीरीज में देखा गया, भारत को पहला झटका बहुत जल्दी मिल जाता है जिससे आने वाले बल्लेबाजों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा।
2. केएल राहुल टेस्ट में कितना फिट
टीम इंडिया के उभरते स्टार बल्लेबाज केएल राहुल सीमित ओवरों के लिए बिल्कुल फिट हैं मगर टेस्ट में उन्हें खिलाने से पहले शायद विराट को दोबारा सोचना होगा। खासतौर से इंग्लैंड जैसी पिचों पर खेलने का उनके पास अनुभव कम है। इसी का फायदा इंग्लिश गेंदबाजों ने उठाया। क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, टेस्ट करियर में 40 से ज्यादा की औसत से रन बनाने वाले राहुल साउथैम्प्टन टेस्ट में दोनों पारियों में मात्र 19 रन ही जोड़ पाए। इस सीरीज में वह ओपनर भी बने तो मध्यक्रम बल्लेबाजी भी मगर उनका प्रदर्शन जस का तस रहा। एशिया के बाहर राहुल ने अपनी पिछली 10 पारियों में 00, 16, 04, 13, 08, 10, 23, 36, 19, 00 रन बनाए हैं। ये पहला मौका नहीं है कि राहुल विदेशों में फेल हो रहे हों। एशिया में उनकी औसत करीब 43 की है, वहीं साउथ अफ्रीका में उन्होंने 2 टेस्ट में 7.50 की और इंग्लैंड में अब तक उन्होंने 14.1 की औसत से रन बनाए हैं।
3. हार्दिक की जगह अतिरिक्त बल्लेबाज न खिलाना
सीमित ओवरों खासतौर से टी-20 जैसे मैचों में हार्दिक पांड्या भले ही उपयोगी खिलाड़ी हों मगर इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ उन्हीं के घर में टेस्ट सीरीज में शायद पांड्या की जगह नहीं बनती। इस पूरी सीरीज में देखा गया कि भारतीय गेंदबाजों ने तो अपना काम किया मगर बल्लेबाज पूरी तरह से फ्लॉप रहे। ऐसे में जब भारत साउथैम्पटन में सीरीज बराबर करने के इरादे से उतरा था, तो कप्तान विराट कोहली को टीम में एक अतिरिक्त बल्लेबाज जरूर रखना चाहिए था। भारत छह स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों के साथ मैदान में उतर सकता था।
4. विराट नहीं लगा पाए नैय्या पार
बतौर कप्तान किसी भी खिलाड़ी की जिम्मेदारी होती है वह अपनी टीम को जीत की दहलीज पर ले जाए। विराट कोहली ने पूरी सीरीज में अपना बेस्ट देने की कोशिश की। हालांकि क्रिकेट एक टीम गेम है खासतौर से टेस्ट क्रिकेट में कोई एक खिलाड़ी देखते-देखते मैच नहीं पलट सकता। विराट ने साउथैम्पटन टेस्ट में पहली पारी में 46 और दूसरी पारी में अर्धशतक लगाकर टीम को थोड़ी बहुत मजबूती देने की कोशिश की मगर यह चेज मास्टर अकेले लड़ते-लड़ते हार गया।
5. विदेशी पिचों पर भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी
साउथैम्पटन टेस्ट में भारत की हार के सिर्फ और सिर्फ बल्लेाज जिम्मेदार हैं। भारतीय गेंदबाजों ने तो अंग्रेजों को सस्ते में समेटकर मैच में बने रहने की पूरी कोशिश की। मगर भारतीय बल्लेबाजों की तेज उछाली वाली पिचों पर बल्लेबाजी न कर पाने की कमजोरी फिर जगजाहिर हो गई। सिर्फ तेज गेंदबाज ही नहीं इंग्लैंड के स्पिन गेंदबाजों का सामना करने में भी भारतीय बल्लेबाजों को परेशानी हुई। खासतौर से सीरीज का पहला मैच खेल रहे मोइन अली ने 9 विकेट लेकर मैच का रुख ही पलट दिया।
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