दक्षिण अफ़्रीक़ा के ईस्टर्न केप प्रांत के रहने वाले 17 वर्षीय गोरे युवक ब्रैन्डन डे वेट ने अपना ख़तना करवाया है. ब्रैन्डन के दोस्त 13 वर्षीय यानेलिज़ा सोमयो ने भी अपना ख़तना करवाया है.
ब्रैन्डन ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा कि ये बहुत ही मुश्किल था जिसका अनुभव उन्होंने पहले कभी नहीं किया था.
रैन्डन ने कहा कि उनके लिए ये एक बड़ी चुनौती थी.
दक्षिण अफ़्रीक़ा के दो प्रमुख क़बीले ज़ोसास और देबेलेस में युवकों के ख़तना कराने की रस्म बहुत आम है.
ज़ोसा क़बीले के लड़के जब 15 से 17 साल के बीच होते हैं तब उन्हें दूर दराज़ जंगलों में बसे एक ख़ास तरह के ख़तना स्कूल में भर्ती कराया जाता है जहां वो एक डॉक्टर और एक नर्स की देख-रेख में रहते हैं.
स्थानीय भाषा में डॉक्टर को 'इंसिबि' कहा जाता है जबकि नर्स को 'इखानकथा' कहा जाता है.
'मर्दानगी का प्रतीक
इन लड़कों का ख़तना ज़्यादातर जून में स्कूल की छुट्टियों के दौरान या फिर दिसंबर के महीने में कराया जाता है.
इस दौरान वो तीन हफ़्तों तक उस ख़ास ख़तना स्कूल में रहते हैं.
ख़तना स्कूल में उन्हें मर्दानगी के बारे में पढ़ाया जाता है और ये भी बताया जाता है कि अपने क़बीले में आप कैसे एक सम्मानित पुरूष की तरह देखे जाएंगे.
लेकिन ये सब कुछ बहुत छिपा कर किया जाता है और इसीलिए ब्रैन्डन भी इस बारे में पूरी जानकारी नहीं देते हैं कि वहां क्या-क्या हुआ.
ख़तना के बाद लड़के एक ख़ास तरह की झोंपड़ी में रहते हैं जिसे 'इबोमा' कहा जाता है. उनके परिवार वाले उनके लिए खाना बनाते हैं और जवान लड़कियां वहां खाना पहुंचाती हैं.
इस दौरान लड़के केवल धोती पहनते हैं और कंबल ओढ़े रहते हैं. उनके पूरे शरीर पर सफ़ेद मिट्टी लगाई जाती है.
इस पूरी प्रक्रिया के ख़त्म होने के बाद लड़के एक नदी में नहाते हैं और अपनी मिट्टी को इस विश्वास को धोते हैं कि उन्होंने अपनी पिछली ज़िदगी को भुला दिया है.
उसके बाद वो उस झोंपड़ी को भी जला देते हैं जिसमे तीन हफ़्ते तक रहे थे.
उसके बाद वो अपने शरीर पर लाल मिट्टी लगाते हैं जिससे ये मान लिया जाता है कि उन्होंने ख़तने से संबंधित सारी प्रक्रिया पूरी कर ली है.
हाल के वर्षो में ख़तने की इस पुरानी रस्म पर कई सवाल उठने लगे हैं ख़ासकर तब जबकि कई लड़के हर साल इसमें मारे जाते हैं.
स्थानीय लोगों के अनुसार पहले ख़तना करने के लिए डॉक्टर प्रशिक्षित होते थे और उनका पंजीकरण भी होता था, समाज के सारे लोग उन्हें जानते थे.
लेकिन अब पैसा कमाने की लालच में कई फ़र्ज़ी डॉक्टर भी इस काम में आगे आ गए हैं और उन्होंने स्कूल खोल रखे हैं.
'दर्दनाक और ख़तरनाक तरीक़ा'
केवल इसी साल पूरे देश से ख़तना कराने के दौरान 70 लड़के मारे गए थे.
ज़ाहिर है इन सबके बाद ब्रैन्डन के माता-पिता के लिए ब्रैन्डन के ख़तना कराने के फ़ैसले को स्वीकार करना आसान नहीं होगा.
ब्रैन्डन की मां चार्लेन डे वेट ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने ब्रैन्डन को अपना फ़ैसला बदलने के लिए बहुत कहा लेकिन ऐसा लगता था कि ब्रैन्डन इस मामले में फ़ैसला कर चुका था और किसी की बात को सुनने के लिए तैयार नहीं था.
ख़तना की पूरी प्रक्रिया के दौरान उन लड़कों को लड़कियों से किसी तरह संपर्क में नहीं आने दिया जाता है.
ख़तना के दौरान लड़कों को तीन हफ़्तों तक जंगल में बने ख़ास अस्पताल में रहना पड़ता है.
ईस्टर्न केप प्रांत के स्वास्थ विभाग के अनुसार हर साल लगभग 20 हज़ार लड़कों का ख़तना होता है.
ईस्टर्न केप के पारंपरिक मामलों के मंत्री लिबो कोबोशियाने ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा, ''यह एक पुराना चलन है जो कि हमारे लड़कों की परवरिश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मैंने भी अपना ख़तना करवाया था और एक पुरूष बनने में उससे मुझे बहुत मदद मिली.''
मंत्री के अनुसार परिवार वालों की ज़िम्मेदारी है कि वो इस बात की जांच कर लें कि उनके बच्चों का ख़तना करने वाले डॉक्टर और नर्स प्रशिक्षित हैं या नहीं.
तीन हफ़्ते के बाद लड़के जब ख़तना करवाकर अपने घर लौटते हैं तो उनका भव्य स्वागत होता है, नाच गाने और भोज का आयोजन किया जाता है.
ब्रैन्डन ने कहा कि गांव वाले उन क़बायली लड़कों के साथ एक गोरे युवक को देखकर चौंक गए थे लेकिन उन्होंने उसका पूरा ख़्याल रखा.
लेकिन ख़तना कराने गए सारे लड़के इस ख़ुशी के साथ घर वापस नहीं लौटते.
इसी साल जून में तीन सौ लड़कों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिनमें से 10 के लिंग को काटना पड़ा था क्योंकि उनके घाव का इलाज करना संभव नहीं था.
इस मामले में पांच लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है. ब्रैन्डन के पिता कहते हैं कि ब्रैन्डन का ख़तना करवाने के फ़ैसले से केवल उसे नहीं बल्कि पूरे परिवार को बिल्कुल नया अनुभव हुआ.
ब्रैन्डन की मां का भी कहना है कि ख़तना के बाद ब्रैन्डन के स्वभाव में काफ़ी बदलाव देखा जा रहा है.
International News inextlive from World News Desk