ए आर रहमान को मद्रास का मोजार्ट कहा जाता है और साउंडट्रैक के लीड कैरेक्टर रौनक कौल (खंडेलवाल) को टाइटल दिया गया बांद्रा का बेथोवेन. म्यूजिक उसके खून में दौड़ता है और उसे हर चीज में मेलोडी सुनाई देती है-शहर के शोर मचाते हॉन्र्स से लेकर लोकल ट्रेन के वाइब्रेशन तक. जब वह सक्सेस की चोटी पर पहुंचने ही वाला होता है, उसके रास्ते में एक रुकावट (एक फिजिकल प्रॉब्लम) आ जाती है, जिससे उसका करियर दांव पर लग जाता है. फिल्म 2005 की कनाडियन फिल्म ऑल गॉन पीट टॉन्ग पर बेस्ड है वो कहानी थी एक पॉपुलर डीजे की जिससे सुनने में कुछ प्रॉब्लम आ जाती है और उसका करियर बर्बाद हो जाता है.


स्टोरी घूमती है एक छोटे शहर के बंदे रौनक के इर्द-गिर्द जो मुम्बई आता है. उसके अंकल उसकी मदद करते हैं और चार्ली (कपूर) के क्लब में बतौर डीजे नौकरी मिल जाती है. हालांकि फिल्म बॉलीवुड के बैकड्रॉप पर बनी है, कई सीन ओरिजिनल फिल्म की तरह ही हैं. अनुराग कश्यप, अनु मलिक, कैलाश खेर, सलीम मर्चेंट, वीजे बानी रौनक के इस राइज और फॉल में दिखाई देते हैं. आमिर में अपनी परफॉर्मेंस के बाद, खंडेलवाल साउंडट्रैक में काफी बढिय़ा दिखाई दिए हैं. एक बार फिर से इस फिल्म में उन्होंने अपना एक्टिंग टैलेंट दिखा दिया है. चार्ली (कपूर) का परफॉर्मेंस भी जबरदस्त है जबकि शोनाली (शर्मा) काफी ब्राइट नजर आती हैं.

सोहा, जो इंटरवल के बाद उनकी लिप रीडिंग टीचर के तौर पर नजर आती हैं, अपने छोटे से रोल में भी काफी प्यारी लगी हैं. फिल्म का फस्र्ट हाफ स्मूद है, इंटरवल के बाद फिल्म की रफ्तार कुछ कम हो जाती है. फिल्म में कुछ अबूझ सवाल भी हैं (जैसे कि ज्यादातर बॉलीवुड फिल्मों में होते हैं)इन सबको छोड़ दें तो माइंडलेस कॉमिक कैपर्स और ओवर-द-टॉप एक्शन फिल्मों के बीच ये फिल्म देखने लायक है. भले ही फिल्म में बड़े नाम ना हों, लेकिन सारी टीम ने मिलकर जो एफट्र्स डाले हैं उन्हें देखने के लिए ये फिल्म देखने जरूर जाया जा सकता है.

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