नई दिल्ली (आईएएनएस)। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर प्रवासी कामगारों की दुर्दशा को न सुनने का आरोप लगाते हुए जुबानी हमला बोला। उन्होंने सरकार से अगले छह महीनों के लिए देश के हर जरूरतमंद को 7,500 रुपये प्रदान करने की मांग की। गरीबों, प्रवासियों, छोटे व्यवसायों और मध्यम वर्ग की आवाज को केंद्र सरकार तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस के 'स्पीकअप' अभियान में बोलते हुए, सोनिया गांधी ने कहा, पिछले दो महीनों में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लाॅकडाउन ने आर्थिक संकट की एक बड़ी समस्या पैदा की है। आजादी के बाद पहली बार, लोगों ने नंगे पैर यात्रा कर रहे प्रवासी श्रमिकों के दर्द और दुर्दशा को देखा है। उनके दर्द और दुर्दशा को पूरे देश ने सुना लेकिन सरकार ने नहीं।

सरकार इसका आकलन नहीं कर पाई

सोनिया ने आगे कहा कि करोड़ों नौकरियां चली गईं, कई कारखाने बंद हो गए, किसानों को फसल बेचने में परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन सरकार इसका आकलन नहीं कर पाई। कांग्रेस नेता, जो रायबरेली से लोकसभा सांसद भी हैं, ने कहा, पहले दिन से, सभी कांग्रेस नेताओं, अर्थशास्त्रियों और नागरिक समाज के लोगों ने सरकार से आग्रह किया कि यह लोगों के घावों को भरने का समय है लेकिन सरकार लोगों को समझने या मदद करने के लिए तैयार नहीं है। इस प्रकार कांग्रेस ने लोगों की आवाज उठाने का फैसला किया है। सोनिया गांधी ने कहा कि हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि जरूरतमंद लोगों को राहत प्रदान करें और हर परिवार को छह महीने के लिए 7,500 रुपये प्रदान करें।

रोजगार की व्यवस्था करने के लिए भी कहा

कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार से फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों के लिए मुफ्त और सुरक्षित यात्रा की व्यवस्था करने और उनके रोजगार की व्यवस्था करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत रोजगार के दिनों को बढ़ाकर 200 किया जाए ताकि वे अपने गांवों में रोजगार पा सकें। उन्होंने कहा कि सरकार को इन कठिन समय में छोटे और मझोले उद्योगों की मदद करने की भी जरूरत है ताकि करोड़ों रोजगार बच सकें। सोशल मीडिया के माध्यम से, कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता एक बार फिर इस मांग को उठा रहे हैं। उन्होंने बड़ी लोगों से अभियान में भाग लेने और लोगों द्वारा सामना किए जा रहे मुद्दों को उठाने का आग्रह किया।

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