स्टडी में हुआ है कुछ ऐसा खुलासा
हाल ही में नीदरलैंड में हुई एक स्टडी में यह पता लगाया गया है कैसे बदलता मौसम, मौसम के प्रति संवेदनशील लोगों को दर्द और शारीरिक दिक्कतों की सौगात देता है। इस स्टडी को छह यूरोपियन देशों में स्व कथित मौसम संवेदनशीलता के जरिए पुराने लोगों में ऑस्टियोआर्थराइटिस और पुराने जोड़ों के दर्द के रूप में पूरा किया गया। आइए यहां पर बात करते हैं इसी बारे में कि मौसम की ऐसी मार से बचते हुए कैसे उसका पूरा आनंद उठाया जाए। BMC musculoskeletal विकारों से जुड़ी एक रिपोर्ट में बताया गया कि मौसम के मिजाज कुछ व्यक्तियों में मूड को प्रभावित कर सकते हैं और इस तरह से उनमें परोक्ष रूप से दर्द की धारणा को भी प्रभावित करते है।
ऐसे होते हैं ये मौसमी दर्द और आलस्य
Qi Spine क्लीनिक के आर्थोपेडिक परामर्श सर्जन और अनुसंधान निदेशक डॉक्टर गौतम शेट्टी कहते हैं कि मौसम सीधे तौर पर कभी दर्द पर असर नहीं करता। ये मौसम के प्रति अधिक उत्सुक लोगों में दर्द की धारणा में परिवर्तन लाता है। ऐसे कई सारे मरीज हैं जो अपने उत्तेजक दर्दों के बारे में शिकायत करते हैं। डॉक्टर शेट्टी उन्हें अपने शरीर में विटामिन डी के लेवल को चेक करने का परामर्श देते हैं। वह कहते हैं कि बारिश के मौसम में आउटडोर फिजिकल एक्टिविटी और सूरज की रोशनी कम मिलने के कारण अक्सर लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। इस तरह से विटामिन डी के लेवल का कम होना शरीर में सुस्ती, थकान और दर्द को बढ़ाता है। वहीं मुंबई में तो विटामिन डी का कम होना एक महामारी है। यहां हर दूसरा व्यक्ति इस दिक्कत से प्रभावित है। ऐसे में इसके लिए जरूरी है कि शरीर में इसकी कमी होने से पहले ही इसे जांच कर सुधार लिया जाए।
ऐसे में करें ये...
अधिकतर ऐसा देखने में आता है कि आसमान साफ ही है। ऐसे में खुद को सुरज की रोशनी के सम्पर्क में लाइए और विटामिन डी लीजिए। सूरज की पीली किरणें जब आपको छुएंगी, तो वह आपके शरीर में जर्म्स और बैक्टीरिया को भी खत्म कर देंगी। मसीना हॉस्पिटल, बायकुला के मनोवैज्ञानिक डॉक्टर यूसुफ कहते हैं कि बारिश से मुंबई का प्यार और नफरत दोनों तरह का रिश्ता है। वह कहते हैं कि बाढ़ के कारण नुकसान से जुड़ी अतीत की घटनाओं को लेकर यहां के लोग अक्सर काफी डरे हुए, चिंता में और तनाव में रहते हैं। यहां तक कि ये उनके मन में इतना समा गया कि जरा सी भी बूंदा-बांदी होने पर लोग घरों से बाहर निकलने की अपेक्षा, घर में रहना पसंद करते हैं। वहीं कुछ के मन में तो बिजली और गरज का डर बैठा हुआ है। इसके अलावा अगर वो कमजोर इमारतों में रहते हैं तो उन्हें डर सताता है छतो से पानी चूने का, बिल्डिंग के गिर जाने का या फिर बीमार पड़ जाने का।
जब कम होने लगे एनर्जी का स्तर
ऐसे अंधेरे महीनों में एनर्जी का स्तर शरीर में कम हो जाता है और वह शरीर में आलस और सुस्ती छोड़ जाता है। डॉक्टर यूसुफ कहते हैं कि शरीर में मौसम से संबंधित ऐसे सुस्ती के स्तर को कम करने के लिए उस व्यक्ति को उसके बारे में बताना होगा। ऐसे में उसे किसी एक को उसको काउंसिल करने के लिए अपने पास रहने देना होगा। उसे खुद को खुश रखने देना होगा। ऐसे में उस व्यक्ति को अपने आराम, खाने, लॉन्ग ड्राइव और लोक गीतों के बारे में सोचना होगा।
पसीना और सुस्ती को रखें खुद से दूर
बारिश के मौसम में नमी का स्तर 90 से 80 फीसदी ऊपर चला जाता है। ऐसे में ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है क्योंकि ऐसे में हमारे लीवर का काम करना धीमा हो जाता है। इसके कारण हमें सिर दर्द, उल्टी, सूजन, चक्कर आना, जिगर में सूजन और कब्ज जैसी दिक्कतें हो जाती हैं। हिंदुजा हेल्थकेयर सर्जिकल के कंस्लटिंग जनरल फिजीशियन डॉक्टर अनिल बालानी कहते हैं कि हर किसी को प्रतिदिन तीन लीटर पानी तो जरूर पीना चाहिए। 30 से 45 साल की उम्र के लोगों को तनाव को दूर रखने के लिए एयरोबिक और एक्सरसाइज करनी चाहिए। ये सब चीजें घर पर भी बड़ी आसानी के साथ हो सकती हैं। शरीर में विषाक्त्ा प्रदार्थों के इकट्ठा होने के कारण शरीर का भारी लगना, संयुक्त मांसपेशियों और पीठ के दर्द का अहसास बढ़ जाता है। एक बार अगर आपने अपने शरीर की कैलोरीज़ को बर्न कर लिया तो शरीर के सभी विषाक्त प्रदार्थ शरीर से बाहर हो जाते हैं। यह सब एक्सरसाइज और वर्कआउट से ही संभव है। 45 साल से ज्यादा के लोगों को साइकलिंग करने के साथ-साथ टहलना जरूर चाहिए।
करें नियमित व्यायाम
आपको जब ऐसा लगने लगे कि मौसम की वजह से अब आप ज्यादा थक रहे हैं तो सोचिए कि मानसून वर्कआउट को अपनी जिंदगी में जगह देकर आपके नियमित रूटीन को बदलने का अच्छा कारण बन गया। फिटनेस एक्सपर्ट नूपुर कहती हैं कि ऐसे लोग जो फुटबॉल खेलना पसंद करते हैं, उनके लिए शरीर में मसल्स को फिट रखने का ये बहुत अच्छा तरीका है। इसके इतर अगर आप घर में रहकर कुछ करना चाहते हैं तो सिर्फ 20 मिनट का वार्मअप ही काफी है आपके शरीर से थकान और सुस्ती को बाहर निकालने के लिए। इसी के साथ-साथ मानसून में आठ घंटे की नींद लेनी बहुत जरूरी है। इससे काफी हद तक शारीरिक और मानसिक थकान में राहत मिलती है।|
दिमाग, शरीर और आत्मा के लिए भोजन
मानसून के समय खाना आपके शरीर में चयापचय क्रिया और प्रतिरक्षा को कम कर देता है। डॉक्टर शिखरे कहते हैं कि अदरक आपको काफी वार्मिंग दे सकता है। इसको आप अपनी ग्रीन टी में मिला सकते है। शरीर में एनर्जी लेवल को बढ़ाने के लिए सूखे मेवे पर चबाना, भुना हुआ जई, अनाज और उबला हुआ सेम खाने में लेना काफी लाभकारी हो सकता है।
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